भारत में खरीफ की फसल में अनियमित बारिश और रबी में पानी की कमी के कारण किसानों को निरंतर पानी की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सिंचाई के लिए पानी की कमी का समाधान: जल संरक्षण, जैविक खेती को बढ़ावा, तकनीकी उपाय, और सिंचाई प्रणाली का आधुनिकरण हैं।
किसानों के खेत न केवल छोटे है अपितु बिखरे हुए भी हैं। जिससे उन्हें तकनीकी समस्याएं और उच्च उत्पादकता की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
छोटी और बिखरी हुई भूमि की समस्या का समाधान: सामूहिक खेती, तकनीकी ज्ञान, वित्तीय सहायता और बायोलॉजिकल उत्पादों का प्रचार हैं।
किसानो पर किए कई सर्वे में यह सामने आया है कि 50% किसान अपने बच्चों को किसानी नहीं करवाना चाहते। साथ ही, नई पीढ़ी में खेती के प्रति कम रूचि है।
कृषि मशीनीकरण और जैविक खेती को बढ़ावा देने से कृषि के प्रति नई पीढ़ी में रुचि की कमी को दूर किया जा सकता है।
मृदा अपरदन समस्या भूमि की ऊपरी स्तरीय तकता में कमी और पोषण सामग्री की हानि को संकेत करती है।
मृदा अपरदन समस्या का समाधान जैविक खेती, प्रबंधित खेती, और सही समय पर सही खेती प्रथाएं अपनाने में है।
सरकारी योजनाओं का असफल क्रियान्वयन, सरकारें कई योजनाएं बनाती हैं पर उनका पूरा लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाता हैं।
जागरूकता, भ्रष्टाचार की निगरानी, शिक्षितीकरण, और डिजिटलाइजेशन से सरकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन संभव है।