एयर कूल्ड इंजन या वाटर कूल्ड इंजन? जाने आपके ट्रैक्टर के लिए कौन सा इंजन बेहतर है?

Published 26 Apr, 2024

ट्रैक्टर में एयर कूलिंग सिस्टम इंजन के तापमान को नियंत्रित करने के लिए हवा का उपयोग करता है। यह एक एयर ब्लोअर के माध्यम से हवा को पंखों के बीच से गुज़ारकर इंजन के सिलेंडर से गर्मी को नष्ट करता है।



वाटर कूलिंग सिस्टम वाले ट्रैक्टर में इंजन की सुरक्षा के लिए वाटर जैकेट का उपयोग होता है। इसमें थर्मोस्टेट वाल्व, रेडिएटर, वॉटर पंप, पंखा, चरखी और बेल्ट शामिल होते है।



एयर कूल्ड सिस्टम में जटिलता कम होती है, जिससे लीकेज की संभावना भी कम होती है। और इसके अलावा, रेडिएटर और पंप के अभाव से इंजन हल्का होता है, जिससे ट्रैक्टर का वजन कम होता है और डीजल की भी बचत होती है।



वाटर कूल्ड इंजन में सिलेंडर, सिलेंडर हेड, और वॉल्व यूनिफार्म कुलिंग होता है, जिससे इंजन की परफॉर्मेंस अच्छी रहती है। इसका परफॉर्मेंस भारी ड्यूटी कामों में भी अच्छा है और ट्रैक्टर जल्दी गर्म नहीं होता।



एयर कूलिंग में एक समान इंजन ठंडा नहीं हो पाता, जिससे कई जगह हॉट स्पॉट रह जाते हैं। अगर हैवी काम और ज्यादा देर तक इस इंजन को चलाते हो, तो इंजन की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है।



वाटर कूलिंग सिस्टम में वाटर पंप इंजन की ताकत का उपयोग करता है, जिससे इंजन कि वर्किंग एफिशिएंसी में कुछ बदलाव आ सकता है और इसमें कोई प्रॉब्लम होने पर इंजन को बड़ा डैमेज हो सकता है।



ट्रैक्टर में एयर कूलिंग और वॉटर कूलिंग इंजन दोनों ही अपने-अपने पहलुओं में अच्छे हैं। एयर कूलिंग कम रखरखाव और कम डीजल खपत के लिए अधिक उपयुक्त है, जबकि वॉटर कूलिंग भारी कामों के लिए अधिक प्रभावी है।





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