अब बासमती के GI tag को लेकर हो रहा है - भारत बनाम पाकिस्तान।
भारत में कई इलाकों में बासमती चावल की खेती है, बाज़ार में भी इस सुगंधित धान की अत्यधिक मांग है। लेकिन धान की इस बेहतरीन नस्ल को लेकर अब भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तानी में द्वंद् की स्थिति बन गई है। दरअसल बासमती चावल के विशेष भौगोलिक संकेतक (GI tag) को लेकर पाकिस्तान भारत को चुनौती देने यूरोपियन संघ पहुंच गया। बासमती के GI tag की मांग पाकिस्तान की भी है और उसका कहना है वह बासमती चावल का बड़ा उत्पादक है, ऐसे में भारत को GI tag मिलना गलत है।
इसपर आगे जानकारी देने से पहले आपको बता दें कि
आखिर ये GI tag है क्या?
किसी क्षेत्र विशेष के उत्पाद को विशेष पहचान देने के लिए GI tag दिया जाता है। भौगोलिक संकेतक (GI tag) उन कृषि उत्पादों को दिया जाता है, जो किसी क्षेत्र विशेष में में विशेष गुणवत्ता और अन्य विशेषताओं के साथ उत्पन्न होते हैं। जीआई मार्क उपभोक्ताओं को मूल उत्पाद की गुणवत्ता पर भरोसा दिलाता है और किसी वस्तु पर यह टैग मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उसकी कीमत व महत्व बड़ जाता है।
इसी कारण है दोनों देशों के बीच इसको लेकर विवाद उत्पन हुआ है, अगर आपको याद हो तो मध्य् प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के बासमती चावल पर भी GI tag की मांग की थी, अब आपको समझ आ गया हो होगा उन्होंने ऐसा क्यों किया था।
पाकिस्तान क्यों दे रहा है हमें चुनौती?
अब आपको बता दें भारत के पास फिलहाल GI tag है, लेकिन इसकी वैधता 10 साल की थी और 10 साल की समय अवधि अब समाप्त हो रही है, इसलिए भारत ने यूरोपियन यूनियन के समक्ष फिर से इसकी मांग की है जिसके विरोध में पाकिस्तान आया है। आपको बता दें GI tag को लेकर यह नियम भी है कि किसी भी देश के किसी उत्पाद पर GI tag का आवेदन करने के बाद दूसरे देशों को भी यह अधिकार है कि अगर उन्हें ऐसा लगता है कि उस उत्पाद पर उसकी भी या ही विशिष्ट पहचान है तो वो 3 माह के अंदर इसका विरोध कर सकते हैं। अब पाकिस्तान भी यही कर रहा है और दावा कर रहा है विश्वभर के बासमती के 35% बासमती का उत्पादन वो ही करता है।
भारत भी GI tag का आवेदन करते समय बता चुका है कि किस तरह बासमती भारत की वर्षो पुरानी खासियत है, भारत के आवेदन ने भौगोलिक विशिष्टताओं, पर्यावरणीय कारकों और बासमती को भारतीय बनाने वाली सभी चीजों का विवरण प्रस्तुत किया गया है। हालाकि जानकारों की मानें तो भारत में जो बासमती होता है वो पाकिस्तान में भी वर्षो से होता आया है, भारत ने इसकी अनदेखी करते हुए यह दावा ठोक दिया कि बासमती सिर्फ भारत का है। पाकिस्तान को बासमती पर भारत को विशेष भौगोलिक संकेतक मिलना उचित नहीं लगा और उसने इसपर भारत को यूरोपियन संघ में चुनौती दे डाली।
बासमती के लिए ही कभी साथ लड़े थे दोनों देश:-
अब इसपर आगे क्या होगा यह यूरोपियन संघ ही निर्णय लेगा, लेकिन हम आपको बताना चाहते है एक समय ऐसा भी था जब बासमती के लिए दोनों देशों ने साथ मिलकर पश्चिम से संघर्ष किया था। दरअसल 1997 में राइस टेक नामक अमरीकी कंपनी ने भारत के बासमती और अमरीका लंबे चावल की एक मिली जुली नस्ल बनाकर उसे विशेष अधिकारों के साथ बेचना शुरू कर दिया था। इसके बाद भारत ने इसका विरोध जाताया, जिसमें बाद में पाकिस्तान ने भी हमारा साथ दिया।
यह दोनों देशों के लिए अपनी खास पहचान की चोरी और आर्थिक महत्व का मामला था, जिनके लिए दोनों देश साथ ने आए थे। अब भी मामला यहीं है मगर दोनों पड़ोसी आमने सामने है।
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