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अपने ट्रैक्टर टायर्स के बारे में ये 6 बातें जरूर जानें

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ट्रैक्टर ज्ञान द्वाराAug 18, 2025 12:20 PM
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टेबल ऑफ कंटेंट

टायर्स, ट्रैक्टर का आधार होता है। चाहे खेत का कोई काम हो या भारी ट्रॉली खींचनी हो, टायर्स ही वो आधार हैं जो आपके ट्रैक्टर को सही संतुलन, पकड़ और शक्ति देते हैं। ट्रैक्टर टायर्स की सही देखभाल आपको लंबे समय तक बढ़ा खर्चा होने से बचा सकती है। ट्रैक्टर टायर्स के बारे में यह 6 जरूरी बातें जो हर किसान को पता होनी चाहिए जो आपके टायर की उम्र और प्रदर्शन दोनों को बेहतर बना सकती हैं।

सही ट्रैक्टर टायर का चयन करना है बेहद जरूरी

ट्रैक्टर टायर और जमीन के बीच डायरेक्ट कॉन्टेक्ट होता है। टायर का चुनाव करने के लिए आपको जमीन की समझ भी हो चाहिए। चिकनी मिट्टी के लिए गहरे पैटर्न वाले टायर्स और सूखी, कड़ी जमीन के लिए कम गहराई वाले टायर्स सही विकल्प होते हैं। टायर का चुनाव करते समय उसके साइज, लोडिंग कैपेसिटी और टरेन टाइप (खेती या सड़क) को ध्यान में रखना चाहिए। ट्रैक्टर मैन्युअल में दी गए जानकारी के अनुसार ही ट्रैक्टर टायर का चुनाव करें।

सही ट्रैक्टर टायर प्रेशर बनाए रखें, प्रदर्शन बेहतर मिलेगा

कभी भी टायर मे हवा के दबाव (प्रेशर) को नजरअंदाज न करे, यह एक एक आम गलती है। अगर टायर में कम हवा है, तो वह जल्दी घिस सकता है और साथ ही ट्रैक्टर को चलने मे भी मुस्किल हो सकती है जिससे की ज्यादा ईंधन भी खर्च होगा। वहीं, अधिक हवा से टायर बबलिंग कर सकता है और ट्रैक्टर अपना कंट्रोल खो सकता है। इसलिए टायर प्रेशर को समय समय पर चेक करना जरूरी है, खासकर जब ट्रैक्टर कोई भारी काम कर रहा हो।

ट्रैक्टर टायर की गहराई (ट्रेड डेप्थ) पर दें ध्यान

टायर की ऊपरी परत को ट्रेड कहा जाता है, जिसमें खांचे बने होते हैं। ट्रेड ट्रैक्टर टायर को जमीन पर मजबूत पकड़ देता है। समय अनुसार टायर चेक करते रहे, टायर गेज से आसानी से ट्रेड डेप्थ माप सकते हैं और जब ट्रेड डेप्थ 50% से नीचे आ जाए तो नया टायर लगाना लेना चाहिए, क्युकी ट्रेड डेप्थ कम होने के कारण टायर की पकड़ कमजोर हो जाती है, जिससे फिसलने की संभावना बढ़ जाती है और कीचड़ या गीली मिट्टी में काम करना मुश्किल हो जाता है।

ट्रैक्टर टायर घिसावट (वियर) को समय पर पहचानें

अगर टायर असामान्य रूप से घिस रहा है तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है। टायर के बीच में ज्यादा घिसावट होने पर यह ज्यादा हवा का संकेत है, किनारों पर घिसावट कम हवा की समस्या है और अगर एक तरफ ज्यादा घिसावट या क्रैक्स हो तो यह व्हील एलाइनमेंट की गड़बड़ी हो सकती है। ऐसी किसी भी समस्या से बचाने के लिए नियमित रूप से टायर्स की जांच कराना चाहिए या तुरंत मैकेनिक से सलाह लें। लगातार अनदेखी करने से दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।

ट्रैक्टर टायर की उम्र को समझना जरूरी है

हर टायर की एक सीमित उम्र होती है, जो केवल टायर घिसने से ही नहीं बल्कि समय के साथ रबर के खराब होने से भी मापी जाती है। आमतौर पर ट्रैक्टर टायर्स 5-7 साल तक चल सकते हैं, लेकिन यह उनके उपयोग और रखरखाव पर भी निर्भर करता है। मैन्युफैक्चर डेट ध्यान मे रख कर समय पर पुराने टायर्स को बदल सकते है या सावधानी से इस्तेमाल कर सकते है।

सही देखभाल से ट्रैक्टर टायर्स की उम्र बढ़ाएं

अगर आप अपने ट्रैक्टर टायर्स को लंबी उम्र देना चाहते है तो यह कुछ सरल उपाय अपना सकते है, जैसे की टायर्स की नियमित सफाई, सही हवा का मेंटेनेंस, छांव में पार्किंग, अचानक ब्रेक न लगाना, ओवरलोडिंग से बचाना और लंबे समय तक काम ना आने के दौरान टायर्स को थोड़ा हवा कम करके रखें।

निष्कर्ष

ट्रैक्टर टायर्स की सही जानकारी और देखभाल से आपके ट्रैक्टर की परफॉर्मेंस और फ्यूल एफिशिएंसी बेहतर हो सकती हैं। थोड़ी समझदारी और नियमित देखभाल से आप न सिर्फ टायर की लाइफ बढ़ा सकते हैं, बल्कि ट्रैक्टर को कई सारी समस्या से बचा कर मेंटेनेंस कॉस्ट की बचत भी कर सकते है।

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