बेमौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की परेशानी, धान की फसल पर संकट के बादल
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हाल ही में रायपुर और आसपास के क्षेत्रों में बेमौसम बारिश और मौंथा तूफान ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बनरसी और माना बस्ती जैसे इलाके, जहां नहर के किनारे धान की खेती होती है, वहां फसलें पूरी तरह गिर गई हैं।
धान की खड़ी फसल को भारी नुकसान
लंबी तने वाली किस्मों की धान की खड़ी फसलें खेतों में जमीन से चिपक गई हैं, जिससे किसानों का भारी नुकसान हुआ है। किसान बताते हैं कि उनकी कुल फसल का लगभग एक चौथाई हिस्सा इस प्राकृतिक आपदा के कारण बर्बाद हो गया है। मायाराम साहू जैसे स्थानीय किसानों ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक आजीविका मुख्य रूप से खरीफ की धान फसल पर ही निर्भर है। फिलहाल किसानों की चिंता बढ़ी हुई है और वे भगवान का नाम लेकर लुआई (कटाई) करने को मजबूर हैं, क्योंकि कटाई के दौरान नीचे की फसल में सड़न की समस्या भी सामने आ रही है।
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बीमा, मुआवजा और प्रशासनिक प्रयास
प्रशासन द्वारा फसल नुकसान का आंकलन प्रारंभ किया जा चुका है, जबकि किसानों के अनुसार फसल बीमा की राशि की प्रक्रिया अभी स्पष्ट नहीं है। कृषि विभाग ने साफ किया है कि बीमा कवरेज की शर्तों के अनुसार किसानों को मुआवजा मिलेगा, इसके लिए कृषि, राजस्व और पंचायत विभाग संयुक्त रूप से सर्वे करेंगे। जहां-जहां फसलें खड़ी नहीं रह पाईं, वहां नुकसान अधिक है और यदि आने वाले दिनों में फिर बारिश होती है, तो बची हुई फसल भी सड़ सकती है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों तक रायपुर व आसपास के इलाकों में बादल छाए रहने का अनुमान जताया है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। युवा किसानों का कहना है कि तेज धूप आने से नुकसान की मात्रा कम हो सकती थी, लेकिन लगातार बदलते मौसम ने नुकसान को गंभीर बना दिया है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, बेमौसम बारिश और तूफान ने रायपुर क्षेत्र के धान उत्पादकों को मुश्किल में डाल दिया है। खेतों में भरी फसल की गिरावट, सड़न और आगे बारिश की आशंका ने किसानों की आर्थिक स्थिति को संकट में डाल दिया है। प्रशासन और कृषि विभाग को चाहिए कि वे शीघ्र नुकसान का आंकलन पूरा करें और उचित मुआवजा प्रदान करें, ताकि किसानों का हौसला बना रहे। किसानों को भी अपने फसल बीमा और सरकारी योजनाओं की जानकारी लगातार अद्यतन रखनी चाहिए, ताकि ऐसी प्राकृतिक आपदा के समय वे उचित लाभ उठा सकें।
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