गुजरात के किसानों के लिए राहत: 9 नवंबर से शुरू होगी एमएसपी पर खरीफ फसलों की खरीदी
टेबल ऑफ कंटेंट
गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार ने राज्य के किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। राज्य के कृषि मंत्री जीतूभाई वाघाणी के अनुसार, 9 नवंबर 2025 से मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू हो रही है।इसका मूल उद्देश्य किसानों को उनकी उत्पादित फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाना और उनकी आर्थिक स्थिरता को मजबूत करना है। किसान अक्सर बाजार में अपनी उपज कम दाम में बेचने को मजबूर होते हैं, जिससे उनकी आय प्रभावित होती है।
सरकार ने इस पहल के जरिए किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए नीति लागू की है।
समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी: केंद्र और राज्य दोनों की भूमिका
इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार द्वारा खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। पिछले वर्ष की तुलना में मूंगफली के मूल्य में प्रति क्विंटल ₹480, उड़द में ₹400 और सोयाबीन में ₹436 की बढ़ोतरी की गई है।
भारत सरकार ने मूंगफली का समर्थन मूल्य ₹7263, मूंग ₹8768, उड़द ₹7800 और सोयाबीन ₹5328 प्रति क्विंटल तय किया है। राज्य में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत लगभग 15,000 करोड़ रुपए की फसलें सरकार द्वारा खरीदी जाएंगी।
इसके अंतर्गत, किसानों को अपनी उपज कम कीमत पर बेचने की मजबूरी से राहत मिलेगी। इस वर्ष मूंगफली के खास उत्पादन को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने प्रति किसान 125 मन मूंगफली खरीदने का फैसला भी लिया है।
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खरीद केंद्रों की व्यवस्था और किसानों का लाभ
कृषि मंत्री के अनुसार, राज्य में खरीफ फसलों की खरीद के लिए 300 से अधिक केंद्रों को मंजूरी दी गई है, और आवश्यकता अनुसार इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। इससे किसानों को खरीदी केंद्रों तक आसान पहुंच मिलेगी और उन्हें बार-बार बाजार में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार की यह मुहिम राज्य के कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। फसलों की खरीदी के पारदर्शी और सुचारू संचालन के लिए सरकार ने सभी संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
निष्कर्ष
गुजरात सरकार का समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीदी शुरू करने का निर्णय राज्य के किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा, आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी, और कृषि उत्पादन के प्रति उनका उत्साह भी बढ़ेगा। यह कदम भविष्य में किसानों के लिए स्थायी विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।
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