Please Enter OTP For Tractor Price कृपया ट्रैक्टर की कीमत के लिए ओटीपी दर्ज करें
Enquiry icon
Enquiry Form

खुशखबरी!खुशखबरी!किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कीटनाशकों के इस्तेमाल पर रोक

खुशखबरी!खुशखबरी!किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कीटनाशकों के इस्तेमाल पर रोक

    खुशखबरी!खुशखबरी!किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कीटनाशकों के इस्तेमाल पर रोक

खुशखबरी!खुशखबरी!किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कीटनाशकों के इस्तेमाल पर रोक

14 Jul, 2020

भारत सरकार (Indian Government) ने खेती के काम में आने वाले 27 कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है और इसके लिए 14 मई 2020 को अधिसूचना का मसौदा जारी कर दिया गया है. सरकार ने इस पर लोगों को चर्चा करने और अपनी राय देने के लिए 45 दिनों का समय दिया है और जैसी कि संभावना थी, कीटनाशक उद्योग अपनी पूरी ताकत से इस अधिसूचना के खिलाफ हर तरह की लॉबिंग कर रहा है. कमाल की बात यह है कि रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने भी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को पत्र लिख कर लगभग उसी भाषा में इस कदम का विरोध किया है, जिस भाषा में उद्योग जगत इसके खिलाफ कमर कस रहा है.

उद्योग जगत का आरोप है कि सरकार का यह फैसला जल्दबाजी में उठाया गया है. लेकिन यदि देखा जाए तो इस अधिसूचना की नींव UPA-2 सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में 8 जुलाई 2013 को तब पड़ गई थी, एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर उसे "नियोनिकोटिनॉयड्स" के इस्तेमाल पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. बाद में इस समिति का मैंडेट बढ़ाकर उसमें 66 कीटनाशकों को शामिल कर दिया गया. इस समिति ने 9 दिसंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट दी, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने 14 अक्टूबर 2016 को स्वीकृति दे दी. इसी समिति की सिफारिशों के आधार पर 18 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया और अब सरकार के ताजा कदम को पिछले फैसले का ही अगला चरण मानना चाहिए, जिसके तहत 27 और कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है. शेष बचे 21 में से 6 कीटनाशक समीक्षा के दायरे में हैं, जबकि 15 को इस्तेमाल के लिए सुरक्षित माना गया है.

प्रतिबंध के लिए प्रस्तावित इन 27 कीटनाशकों में 4 कार्बोसल्फान, डिकोफोल, मेथोमाइल और मोनोक्रोटोफॉस हैं, जो अत्यंत जहरीले होने के कारण पहले से ही रेड कैटेगरी में हैं. इनमें मोनोक्रोटोफॉस वही दवा है, जिसका छिड़काव करते समय 2017 में महाराष्ट्र के यवतमाल, नागपुर, अकोला और अमरावती में कई किसानों की मौत हो गई थी और सैकड़ों बीमार हो गये थे. इसी जहरीली दवा के अवशेषों की मिलावट से 2013 में बिहार के एक स्कूल में मिड-डे मील खाकर दर्जनों बच्चे असमय काल के गाल में समा गये थे. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) लंबे समय से इस खतरनाक दवा को बंद करने की सिफारिश कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत में वर्षों से इसका उत्पादन भी हो रहा है, प्रयोग भी और निर्यात भी. ये सारे के सारे ऐसे कीटनाशक हैं जो अमेरिका और यूरोप के अधिकतर देशों में प्रतिबंधित हैं.


 


 

कीटनाशकों के इस्तेमाल के पैरोकार इसके पक्ष में सबसे बड़ा तर्क यही देते हैं कि एकाएक इन्हें बंद करने से उत्पादन में गिरावट आ सकती है. लेकिन दुनिया के प्रतिष्ठित कृषि शोध संस्थाओं और डब्ल्यूएचओ द्वारा समय-समय पर जारी रिपोर्टों में लगातार यह बात कही गई है कि ऐसी आशंका का कोई आधार नहीं हैं. साल 2003 में अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान (IRRI) के निदेशक रोनाल्ड कैंट्रल ने एक अन्य वैज्ञानिक के साथ मिलकर धान की खेती में कीटनशाकों के प्रयोग पर एक अध्ययन किया. इसके निष्कर्ष में उन्होंने बहुत साफ कहा कि एशिया में धान की फसलों पर कीटनाशकों का इस्तेमाल समय और मेहनत की बरबादी है. अध्ययन में कैंट्रल और उनके साथी वैज्ञानिक ने कहा, “वियतनाम, फिलीपींस, बांग्लादेश और भारत में हमने किसानों को कीटनाशकों के बिना चावल की बेहतर खेती करते देखा है.”

दशकों पहले जब इंडोनेशिया में ब्राउन प्लांट हॉपर कीटों के हमले से वहां एक अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया था और वहां के राष्ट्रपति सुहार्तो ने आईआरआरआई को एसओएस भेजा था, तब 6 वैज्ञानिक इंडोनेशिया गये थे. इन्होंने वहां अध्ययन के बाद उन्होंने जो रिपोर्ट दी थी, उसमें सीधे तौर पर उन 57 कीटनाशकों पर रोक लगाने की सिफारिश की गई थी, जो उस समय इंडोनेशिया में चावल की खेती के लिए इस्तेमाल होते थे. सुहार्तो ने तुरंत वह सिफारिश मान ली थी और इससे अमेरिकी कीटनाशक उद्योग में ऐसा भूचाल आया था कि उनका एक प्रतिनिमंडल सुहार्तो को यह समझाने इंडोनेशिया पहुंच गया था कि इन कीटनाशकों के प्रयोग के बिना इंडोनेशिया में खाद्य संकट हो जाएगा. सुहार्तो ने कीटनाशक उद्योग के प्रतिनिधियों की चेतावनी पर IRRI के वैज्ञानिकों की राय को तरजीह दी और आने वाले सालों में इंडोनेशिया बिना कीटनाशकों के इस्तेमाल के चावल की उत्पादकता और बढ़ गई.

आंध्र प्रदेश ने इस संदर्भ में पिछले कुछ वर्षों में एक उल्लेखनीय काम किया है जो कि शेष भारत के लिए एक मॉडल बन सकता है. विभिन्न राज्यों में कीटनाशकों के इस्तेमाल से संबंधित भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2000-01 में पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात देश में प्रति हेक्टेयर कीटनाशकों का इस्तेमाल करने वाले शीर्ष पांच राज्य थे जहां यह इस्तेमाल क्रमशः 0.98, 0.84, 0.34, 0.32 और 0.30 किलोग्राम था, लेकिन 2009-10 में यह आंकड़ा क्रमशः 0.82, 0.68, 0.09, 0.45 और 0.29 किलोग्राम हो गया.


 

इनसे साफ है कि आंध्र प्रदेश ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता हासिल करते हुए 10 सालों में प्रति हेक्टेयर कीटनाशकों का इस्तेमाल 340 ग्राम से घटाकर 9 ग्राम कर लिया. और जिन भी किसानों ने अपने खेतों में गैर कीटनाशक प्रबंधन (NPM) के तौर तरीकों को अपनाया उनकी आमदनी में भी भरपूर बढ़ोतरी हुई. कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि यदि इनके साथ जैविक खादों के इस्तेमाल को भी शामिल कर लें, तो चावल, मक्का, कॉटन, मिर्च, मूंगफली और सब्जी किसानों की आमदनी में प्रति एकड़ क्रमशः 5590, 5676, 5676, 7701, 10483 और 3790 रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

ऐसे में 27 कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का भारत सरकार का प्रस्ताव न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिहाज से भी इस फैसले के परिणाम बहुत अहम होंगे, इसमें कोई शक नहीं है. मजेदार बात यह है कि सरकार का ही एक मंत्रालय कीटनाशक उद्योग का पैरोकार बन इस प्रस्ताव के खिलाफ लॉबिंग कर रहा है. यह वो मंत्रालय है, जिस पर देश की केमिकल इंडस्ट्री से नियमों का पालन सुनिश्चित कराने की अपेक्षा की जाती है. लेकिन हालत यह है कि स्वयं इस मंत्रालय के पास प्रतिबंध के लिए प्रस्तावित 27 में से 10 कीटनाशकों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है. और बाकियों के बारे में भी जो आंकड़े हैं, साफ है कि उसमें भारी गड़बड़ी है.

रसायन और उर्वरक मंत्रालय के पास भारत में उत्पादन किए जा रहे 60 से अधिकत टेक्निकल ग्रेड कीटनाशकों में से केवल 43 के बारे में आंकड़े मौजूद हैं. जो आंकड़े हैं, उनमें भी कई गड़बड़ियां हैं, जैसे कि 2016-17 और 2017-18 में केमिकल और पेट्रोकेमिकल के निर्यात की मात्रा देश में उपलब्ध कुल इंस्टॉल्ड कैपेसिटी से भी ज्यादा दिखाई गई है, जबकि वास्तविक उत्पादन इस क्षमता के 50-60 प्रतिशत के इर्द-गिर्द दिखाया गया है.

ये ऐसे तथ्य हैं, जो साफ साबित करते हैं कि देश में हो रहा कीटनाशकों का छुट्टा प्रयोग सिर्फ किसानों में जागरूकता की कमी का नतीजा नहीं है, बल्कि एक आपराधिक साजिश का परिणाम है और इसलिए सरकार को न केवल इस कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, बल्कि उद्योग जगत के भारत चल रहे कार्य-कलापों की भी विस्तृत जांच करनी चाहिए.

 

Read More

 Top 9 Farmtrac tractors in India | Price & Features in 2021       

Top 9 Farmtrac tractors in India | Price & Features in 2021              

Read More  

 Top New Holland Tractor Series in India | Price & Features in 2021       

Top New Holland Tractor Series in India | Price & Features in 2021

Read More  

 Top 5 Mahindra tractors in India 2021!       

Top 5 Mahindra tractors in India 2021!                                             

Read More

Top searching blogs about Tractors and Agriculture

Top 10 Tractor brands in india To 10 Agro Based Indutries in India
Rabi Crops and Zaid Crops seasons in India Commercial Farming
DBT agriculture Traditional and Modern Farming
Top 9 mileage tractor in India Top 5 tractor tyres brands
Top 11 agriculture states in India top 13 powerful tractors in india
Tractor Subsidy in India Top 10 tractors under 5 Lakhs
Top 12 agriculture tools in India 40 Hp-50 Hp Tractors in India

review Write Comment About Blog.

Enter your review about the blog through the form below.



Customer Reviews

Record Not Found

Popular Posts

https://images.tractorgyan.com/uploads/112886/6628f946dcfc8-escorts-kubota-to-increase-tractor-prices-from-may-2024.jpg

एस्कॉर्ट्स कुबोटा के ट्रैक्टर होने जा रहे है महंगे? मई 2024 से पहले खरीदने पर होगा फायदा!

एस्कॉर्ट्स कुबोटा - अग्रि मशीनरी बिजनेस डिवीजन ने 1 मई, 2024 से अपने ट्रैक्टर की कीमतों में वृद्धि क...

https://images.tractorgyan.com/uploads/112883/6628bfe496c11-swaraj-limited-edition-tractors-with-ms-dhoni-signature.jpg

धोनी के साइन और गोल्डन कलर के साथ आयेगा आपका स्वराज ट्रैक्टर

देश के किसानों के लिए स्वराज ट्रैक्टर्स एक जाना-माना नाम हैं और अभी हाल ही में इस मुख्य ट्रैक्टर निर...

https://images.tractorgyan.com/uploads/112885/6628ec9ab26e7-mahindra-sold-40-lakh-tractors.jpg

Relive the Journey of 60 years and 40 lakh Mahindra Tractors

Mahindra Tractors, a part of Mahindra Group, recorded the sale of a 40th lakh tractor in March 2024....

Select Language

tractorgyan offeringsTractorGyan Offerings