8वीं कक्षा के छात्र ने मांगी अपने बीमार पिता के खेत से रेत हटाने के लिए मदद, दर्जनों किसानों ने बढ़ाया मदद का हाथ
पंजाब के मानसा जिले में घग्गर की बाढ़ का प्रकोप जारी है और यह पंजाब के अन्य इलाकों को भी नुक्सान पहुँचा रहा है। अब इस बाढ़ की मार मानसा जिले के सरदूलगढ़ कस्बा झेल रहा है। बाढ़ के रौद्र रूप की वजह से मानसा जिले के सरदुलगढ़ में घग्गर नदी में एक नई दरार की वजह से बाढ़ का पानी सरदूलगढ़ शहर में प्रवेश कर गया था जो प्रशासन और स्थानीय लोगों के लिए चिंता का सबब बन गया था।
हालाँकि अब इस ज़िले में बाढ़ का पानी उतर गया है, बाढ़ के बाद जमा हुई रेत किसानो को चैन की साँस नहीं लेने दे रही है। सरदूलगढ़ के गांवों, जैसे कि फूस मंडी, साधुवाला, रोडकी, और झंडा खूर्द के किसानों के लिए रेत की स्थिति अब बेहद भयानक हो गई है क्योंकि इन क्षेत्रों में 200 एकड़ से अधिक ज़मीन को घग्गर नदी की रेत ने लगभग 4 से 6 फीट तक भर दिया है।
इस रेत को निकालने के लिए बड़ी मात्रा में पैसों, समय, और संसाधनों की आवश्यकता है। इस जिले के अधिकांश किसान इन सब का इंतजाम नहीं कर पा रहें है। ऐसे में एक आठवीँ कक्षा के छात्र ने मदद की गुहार लगायी।
लोगो से माँगी अपने बीमार पिता के लिए मदद और कईं ट्रैक्टर मालिकों ने दिया साथ
सरदूलगढ़ कस्बे के कईं खेतों की तरह, राजिंदर सिंह के पिता के खेत में भी बाढ़ की वजह से रेत का जमाव हो गया था। पर, उसके बीमार पिता में इस जमी हुई रेत से छुटकारा पाने की ताकत नहीं थी। ऐसे में, राजिंदर सिंह ने बहादुरी दिखाई और अपने पिता के मदद के लिए लोगो से अपील की।
ऐसे मुश्किल वक्त में जब जिले के बाकि किसान खुद अपने खेत में लगे रेत के टीलों से छुटकारा पाने की जद्दोजहद में लगे हैं, उन्होंने राजिंदर की एक ही गुहार पर मदद के हाथ आगे कर दिए। उसकी अपील पर गाँव के करीब दर्जनों ट्रैक्टर मालिक राजिंदर के पिता के खेतों पर पंहुच गए और ज़मीन को समतल करने में लग गए। कुछ ही घंटो की मेहनत से राजिंदर के पिता के खेत से रेत के टीले कम होते दिखने लगे।
पर खेतों से इतनी रेत हटाने का काम एक या दो दिन का नहीं है। इसमें महीनों लग सकते है। जब साल 1993 में घग्गर नदी टूटी तो इतनी रेत का जमाव नहीं हुआ था। पर तब भी किसानो के अपने खेतों को सवांरने में 4-5 साल लग गए थे। अब की बार ऐसा लग रहा है की किसानों को इससे ज़्यादा समय लग सकता है।
इस किस्से से पंजाब की भाईचारे की भावना का पता चलता है। इसी तरह लोगो के भाईचारे के और भी किस्से हमें बाढ़ प्रभावित इलाको से सुनने को मिल रहें है।
हरियाणा के फतेहाबाद के जाखल क्षेत्र के गांव चांदपुरा में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई पर अब इसी बाढ़ की वजह से लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहें हैं। चांदपुरा साइफन के पास बांध टूटने की वजह से आस-पास के खेतों में हजारों टन रेत भर जाने के कारण रेत के बड़े-बड़े टीले बन गए है जो किसानों के लिए एक चिंता का विषय बन गया है।
यहाँ के किसानो ने आस-पास के इलाकों के लोगो से मदद मांगीं और पंजाब के सैकड़ों लोग ट्रैक्टर ट्रालीयां लेकर इनकी मदद के लिए पहुँच गए। लोग अपने ट्रैक्टर,ट्रालीयां, और जेसीबी लेकर यहाँ के किसानो की मदद के लिए पहुँच गएँ और जो लोग उपकरणों से मदद नहीं कर पा रहें थे उन्होंने अन्य तरीको जैसे डीज़ल का ख़र्चा उठाकर या फिर खेतों में मजदूरी करके किसानो की मदद कर रहें है।
वक्त मुश्किल है पर कट जायेगा
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि बाढ़ के बाद जमा हुई रेत की वजह से किसानों की मुसीबतें बढ़ गयीं है। पर, जिस तरह लोग राजिंदर सिंह के पिता और फतेहबाद के किसानो की मदद के लिए आगे आए है, इससे साफ़ पता चलता है कि यह मुश्किल वक़्त भी कट जायेगा और बाढ़ प्रभावित इलाकों के किसान फिर से अपने खेतों में फसलों को लहराते हुए देख पाएंगे।
ट्रैक्टरज्ञान की टीम भी यही उम्मीद करती है। हम आपके लिए कृषि जगत से जुड़ी इसी तरह की और भी बहुत सारी रोचक जानकारी लातें रहेंगे। तो हमसे जुड़े रहिये और आगे बढ़ते रहिए।
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