29 Feb, 2024
आज की पीढ़ी जिन सभी तकनीकों का लाभ उठा रही है उन सब की नीवं सालो पहले हम जैसे ही किसी एक साधारण व्यक्ति ने रखी थी। दुनिया भर के किसान जो आज आधुनिक ट्रैक्टरों का उपयोग कर पा रहें है उनकी नींव भी सालो पहले रखी गयी थी।
आज से 187 साल पहले, अमेरिका के एक छोटे से लुहार ने स्टील हल बनाते - बनाते आज के समय की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर कंपनी बना दी थी।
आज यह कंपनी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है। साल 2022 में, यह कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे बड़े निगमों की फॉर्च्यून 500 सूची में 84 वे स्थान पर थी और इसने साल 2022 में $52.58 बिलियन की कमाई की थी। यह कंपनी 82,200 से ज़्यादा लोगों को रोजगार भी प्रदान करती है।
क्या आप जानना चाहेंगे कौन सी कंपनी है वो?
जॉन डियर है वो कंपनी जिसकी शुरुआत आज से 187 साल पहले हुई थी और आज यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है।
जॉन डियर कंपनी के संस्थापक
इस कंपनी की शुरुआत, वर्मोंट, अमेरिका, में पैदा हुए जॉन डियर ने की थी। वो एक जाने माने लोहार थे और उन्होंने साल 1837 में ग्रैंड डिटोर में 1,378 वर्ग फुट (128 एम 2) की एक छोटी से दुकान खोली थी। इस दुकान के जरिया वो उस गांव में सामान्य मरम्मत करने के साथ-साथ, पिचफोर्क और फावड़े जैसे उपकरणों का निर्माण भी करते थें। इसी से उन्होंने किसानो की ज़िन्दगी बदलनी शुरू कर दी थी।उन्होंने एक स्कॉटिश स्टील आरा ब्लेड को हल में बदल दिया था। उनके इस प्रयास से पहले किसान लोहे या लकड़ी के हलों का इस्तेमाल करते थे। इन हलो के इस्तेमाल के समय किसानो को काफी दिक्कत होती थी क्योंकि इनमे मिट्टी चिपक जाती थी।
जॉन डियर द्वारा बनाया गया हल स्टील का था और इसकी सतह चिकनी थी। तो इस पर मिट्टी नहीं चिपकती थी। और फ़िर अविष्कारों के सिलसिला नहीं रुका।
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साल 1912 के आते-आते डियर एंड कंपनी ने ट्रैक्टर जगत में आने का फैसला कर लिया था। उन्होंने ट्रैक्टर बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया और आखिर में साल 1918 में वाटरलू गैसोलीन इंजन कंपनी को खरीदकर ट्रैक्टर व्यवसाय में अपना प्रवेश जारी रखने का फैसला किया । इस कंपनी ने खुद के बनाये हुए दो ट्रैक्टरों, वॉटरलू बॉय और जॉन डियर ट्रैक्टर, के साथ ट्रैक्टर जगत में प्रवेश किया।
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डियर एंड कंपनी ने साल 1923 तक वाटरलू बॉय नाम से ट्रैक्टर बेचना जारी रखा और 7R, 8R और 9R श्रृंखला के अंतर्गत ट्रैक्टरों का निर्माण भी करती रही। यह कंपनी खेती के अलावा उद्योग के लिए भी ट्रैक्टर बनाती थी और पहला व्यावसायिक ट्रैक्टर वर्ष 1935 में डीआई मॉडल के नाम से बेचा गया था। कंपनी ने 1927 में अपना पहला कंबाइन हार्वेस्टर, जॉन डीयर नंबर 2, का उत्पादन किया।
21वीं सदी की जॉन डियर कंपनी
अपने गठन से 187 सालो बाद भी यह कंपनी उतनी ही निष्ठा से किसानों और अन्य लोगो की जिंदगी आसान बना रही है।
साल 2018 तक, इस कंपनी ने दुनिया भर में लगभग 67,000 लोगों को रोजगार दिया जो सँख्या साल 2023 के आते 82,200 हो गयी। कृषि के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए यह कंपनी
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वैकल्पिक ऊर्जा की शक्ति का उपयोग करके कृषि उपकरण बनाने की दिशा में काम कर रही है।
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एआई के साथ फसल से अधिक पैदावार के तरीक़े ख़ोज रही है।
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ऐसी मशीनों को बना रही है जो बिना ऑपरेटर के दिन-रात काम कर सकतीं हैं।
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बैटरी-इलेक्ट्रिक बैकहो को विकसित कर रही है जो टेलपाइप उत्सर्जन को खत्म करता है।
भारत में जॉन डियर के चमकते 25 साल
अमेरिका की इस कंपनी ने भारतीय किसानों की उन्नति के लिए भी कईं कदम उठाए हैं। जॉन डियर ने साल 1998 में भारत में ट्रैक्टर बिक्री और निर्यात शुरू किया था। साल 2023 में इस कंपनी ने भारत में 25 साल पुरे किये।
भारतीय बाजार में ट्रैक्टरों की आपूर्ति करने के लिए जॉन डियर ने अपनी उत्पादन क्षमता लगभग 132,000 तक बढ़ाई है। जॉन डियर की भारत में स्थानीय इंजन उत्पादन क्षमता 100,000 तक की है। अगर हम कंपनी के प्रदर्शन की बात करतें हैं तो जॉन डियर ने साल 2018 में 100,000 ट्रैक्टर बेचे थे, जिसमें से 70 प्रतिशत मांग स्थानीय बाजार से और बाकी निर्यात से आई थी।
इन सभी प्रयासों के कारण कंपनी साल 2022 में $52.58 बिलियन की बिक्री और राजस्व करने में कामयाब रही। भारत में ट्रेम -IV ट्रांसमिशन आदर्श बनने के तुरंत बाद, ट्रैक्टर निर्माता ने 5E श्रृंखला के तहत चार ट्रेम IV ट्रैक्टर लॉन्च किए।
ये आधुनिक ट्रैक्टर हैं जॉन डिअर 5405 गियर प्रो, जॉन डिअर 5075 ई एसी, जॉन डियर 5075 ई गियर प्रो, जॉन डिअर 5310 गियर प्रो। इससे पता चलता है की दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ने वाली यह ट्रैक्टर निर्माता कंपनी भारतीय किसानो की विशेष ज़रूरतों का भी ख्याल रखती है। इन ट्रैक्टरों में उच्च एचपी, उन्नत सुविधाएँ और सटीक तकनीक देखने मिलता है।
भारत में जॉन डियर के ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स कईं स्थानों पर है जैसे की:
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पुणे (महाराष्ट्र) और देवास (मध्य प्रदेश) में रिएक्टर विनिर्माण।
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पुणे (महाराष्ट्र) में इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम विनिर्माण।
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पुणे (महाराष्ट्र) में इंडिया इंजीनियरिंग सेंटर।
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पुणे (महाराष्ट्र) में एंटरप्राइज टेक्नोलॉजी सेंटर।
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पुणे (महाराष्ट्र) और बेंगलुरु (कर्नाटक) में वैश्विक आईटी केंद्र।
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नागपुर (महाराष्ट्र) और इंदौर (मध्य प्रदेश) में पार्ट्स वितरण केंद्र।
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पुणे (महाराष्ट्र) में जॉन डियर फाइनेंस।
इसके साथ-साथ, देशभर में जॉन डियर के 580 चैनल पार्टनर्स है, 22 ब्रांच ऑफिस, 1200 टच पॉइंट्स, और 4 क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र है और इन सभी सुविधाओं के चलते हैं यह कंपनी हर भारतीय किसान की कृषि सम्बंधित दिक्कतों को सुलझा पा रही है। 5500 कर्मचारियों की एक मजबूत टीम के साथ, जॉन डियर इंडिया दुनिया भर में बढ़ती कृषी मशीनीकरण की जरूरतों को पूरा करने के लिए कईं प्रयास कर रही है।
भारत में जॉन डीयर की उपस्थिति को मजबूत बनाने के लिए इस कंपनी ने साल 2017 में विर्टजेन ग्रुप का अधिग्रहण किया था। इसकी पुणे में एक फैक्ट्री है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें की विर्टजेन ग्रुप का दुनिया की सबसे बड़ी सड़क निर्माण कंपनी है।
जॉन डियर का पोर्टफोलियो इस तरह तैयार किया गया है की भारत के व्यक्तिगत किसानों, अनुबंधित किसानों और सभी प्रकार के किसानो की हर ज़रूरत को हैं पूरा कर सकता है।
जब जॉन डियर की शुरआत की गयी थी, किसी ने नहीं सोचा था की यह कंपनी दुनिया और भारत के किसानों की ज़िन्दगी को इस तरह आसान बना देगी। पर यही सच है और हमे पूरी उम्मीद है की आगे भी यह कंपनी इसी तरह सभी किसानो को उन्नत बनाती रहेगी।