बजट 2024 में किसानों के लिए खास, वह सब कुछ जो आपने अभी तक नहीं सुना!
साल 2024 का बजट आ चुका है और वित्त मंत्री ने नागरिकों और विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए कई घोषणाएँ की हैं। इस बजट का मुख्य मंत्र देश के गरीबों, किसानोंं, महिलाओं और युवाओं का समग्र विकास है। बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
चलिए हम ट्रैक्टरज्ञान की मदद से समझतें हैं कि इस बार के बजट में क्या नई बातें बताई गई हैं। इस ब्लॉग में हम आपके लिए लेकर आएं हैं; ख़ास बातें जो आपने इस बजट से पहले कभी नहीं सुनी होंगी।
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सरकार देगी नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा
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सब्जी की खेती करने वाले किसानों को मिलेंगे क्लस्टर
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खेतीबाड़ी से सम्बंधित एफपीओ और स्टार्टअप को मिलेगा बढ़ावा
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कृषि के लिए मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर
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उच्च उत्पादन यानि ज्यादा पैदावार वाली फसलों को बढ़ावा
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जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान योजना होगी शुरू
अगर आप देश के किसान है और जानना चाहतें हैं कि इस बार के बजट में आपके लिए क्या हैं ख़ास, तो चलिए हम आपकी मदद करतें हैं।
इस ब्लॉग में हम उन सभी योजनाओं की विस्तार से चर्चा करेंगे जो सरकार इस साल के बजट में किसानोंं के लिए लेकर आई है।
सरकार देगी नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा
प्राकृतिक खेती या नेचुरल फार्मिंग एक रसायन मुक्त कृषि पद्धति है जो कम से कम रसायनों जैसे कीटनाशकों, उर्वकों, दवाइयों आदि का उपयोग का उपयोग करके मिट्टी के स्वास्थ्य और बायो विविधता को बेहतर बनाने पर ध्यान देती है। यह फसलों की खेती के लिए प्राकृतिक प्रक्रियाओं और स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने पर ज़ोर देती है।
यह मुख्य रूप से खेत पर बायोमास पुनर्चक्रण पर आधारित है जिसमें किसानोंं को बायोमास मल्चिंग, खेत पर गाय के गोबर-मूत्र निर्माण का उपयोग, मिट्टी में वातन को बनाए रखना और सभी सिंथेटिक रासायनिक इनपुट से दूर रहना सिखाया जाता है ताकि कृषि से पर्यावरण को कम-से-कम नुक्सान पहुँचें।
आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे भारतीय राज्यों के किसान नेचुरल फार्मिंग को कुछ हद तक अपना चुके हैं। अब तक भारत में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र नेचुरल फार्मिंग के अंतर्गत आता है। पर अब भारत सरकार इसको अधिक बढ़वा देना चाहतीं है।
बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि आने वाले दो वर्षों में, एक करोड़ किसानोंं को नेचुरल फार्मिंग से परिचित कराया जाएगा और उनको उचित प्रशिक्षण भी दिया जायेगा जो सर्टिफिकेट और ब्रांडिंग द्वारा समर्थित होगा। नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए 10,000 बायो-इनपुट संसाधन केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे।
इस योजना से देश के किसानों की लिए प्रमाणित नेचुरल फार्मिंग की जानकारी लेना अब आसान हो जायेगा।
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देश के अधिक से अधिक किसान रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना खेती करना सीखेंगे जिससे उनकी कृषि की लगात भी कम होगी और उनके खेतों की मिट्टी मृदा की उर्वरता, संरचना और जल धारण क्षमता को प्राकृतिक तरीके से बढ़ेगी।
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क्योंकि प्राकृतिक तरीकों से उगाई गई फसलों का स्वाद, पोषण मूल्य और शेल्फ लाइफ अक्सर बेहतर होती है, देश के किसान नेचुरल फार्मिंग की मदद से बेहतर गुणवत्ता वाली फसलों को ऊगा सकेंगें जिनका बाजार मूल्य भी अधिक होगा।
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नेचुरल फार्मिंग की मदद से उगाई गई फसलों में आम तौर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, कीटों और बीमारियों को झेलने की अधिक ताकत होती है। तो किसान ऐसी फसलों को ऊगा सकेंगे जो जल्दी ख़राब नहीं होगी।
सब्जी की खेतो करने वालो किसानों को मिलेंगे क्लस्टर
सब्जियों की खेती करने वाले किसानोंं के लिए सब्जियों को उनकी ताज़ा अवस्था में ही बाज़ारों तक पहुँचाना एक बहुत ही बड़ी समस्या है। अपर्याप्त सप्लाई चैन, परिवहन संबंधी समस्याओं और दूर-दराज के बाजारो से कम संपर्क होने के कारण सब्जी की फसल कटाई के बाद काफी नुकसान होता है।
इन्ही सभी कारणों की वजह से किसानोंं को आमतौर पर अपनी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। सब्जी खेती से जुड़े किसानोंं की इन्ही सभी समस्याओं को हल करने के लिए सरकार ने मुख्य उपभोग केंद्रों के नजदीक सब्जी उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर क्लस्टर विकसित करने का निर्णय लिया है।
सरकार के इस कदम से सब्जी किसानोंं को कई लाभ मिलेंगे।
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उत्पादन क्षेत्र के पास ही कलस्टर होने से किसानोंं की बाज़ारों का सब्जियों को ले जाने वाली परिवहन लागत कम हो जाएगी।
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क्योंकि क्लस्टर की मदद से सब्जियों को बाज़ारों तक जल्दी ही ले जाया जा सकेगा, किसानोंं की लिए कटाई के बाद होने वाले नुकसान कम हो जायेगा।
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क्लस्टर की मदद से ताजा सब्जियाँ सीधा उपभोक्ताओं तक पहुँच सकती है। ताजा सब्जियों का बाज़ार मूल्य भी बेहतर होता है।
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एफपीओ और सहकारी समितियों के गठन से सब्जी किसानों का बाजार संपर्क बेहतर हो जायेगा और तो वहीँ दूसरी और कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स के आने से सटीक खेती और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा।
एफपीओ और स्टार्ट अप को बढ़ावा
इस बजट में सरकार ने एफपीओ और स्टार्टअप को बढ़ावा देने की घोषणा की है! एफपीओ का मतलब है किसान-उत्पादकों। ये ऐसे संगठन है जो छोटे किसानों को इनपुट, नई तकनीकी, फसलों की प्रोसेसिंग से लेकर उनकी मार्केटिंग, और
खेती के लगभग सभी पहलुओं (पैदावार से लेकर बिक्री तक) को कवर करने वाली सेवा प्रदान करते हैं।
यह किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन सभी पहलों का उद्देश्य भारत के किसानों के लिए एक मजबूत कृषि इकोसिस्टम बनाना है जो किसानों को सीधे लाभ पहुंचाए।
एफपीओ के साथ-साथ, खेती से जुड़े स्टार्ट-उप, जो कृषि में पैदावार बढ़ाने के साथ खेती से जुडी समस्यों को हाल करने की दिशा में भी बेहतरीन काम कर रहें हैं, को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
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अधिक एफपीओ होने से किसानोंं को सामूहिक रूप से अपनी उपज के लिए बेहतर कीमतों पर बेचना आसान हो जायेगा।
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एफपीओ कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग इकाइयों और परिवहन जैसे साझा बुनियादी ढांचे में भी निवेश करते हैं। जब उनको समर्थन मिलेगा तो किसानोंं के लिए फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आएगी।
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अधिक एफपीओ के होने से किसानोंं के लिए सीधे बाजार तक पहुँचना आसान हो जाता है।
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कृषि में स्टार्टअप को बढ़ावा देने से किसानोंं के पास नए और आधुनिक समाधान जैसे कि उन्नत फसल किस्में, सटीक कृषि और खेत प्रबंधन उपकरण होने की अधिक संभावना है।
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कृषि से जुड़े स्टार्टअप किसानोंं को संसाधन उपयोग को अनुकूलित करने में मदद कर सकते हैं, जिससे उनकी उपज अधिक और कम लागत कम हो जाती है।
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कृषि स्टार्टअप ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकतें हैं। इससे ग्रामीण इलाको के युवाओं को उनके इलाको में ही रोजगार मिल सकता है।
कृषि के लिए मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रचर
इस बजट में सरकार ने घोषणा की है कि वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर आने वाले 3 वर्षों में किसानोंं और उनकी भूमि से जुड़े डाटा को इकट्ठा करने के लिए कृषि में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रचर (डीपीआई) को बढ़ावा देगी।
केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण बजट पेश करते हुए कहा कि साल 2024 में डीपीआई का उपयोग करके खरीफ के लिए डिजिटल फसल सर्वेक्षण 400 जिलों में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 6 करोड़ किसानोंं और उनकी भूमि का विवरण किसान और भूमि रजिस्ट्री में लाया जाएगा। इसके अलावा, देश के 5 राज्यों में जनसमर्थन आधारित किसान क्रेडिट कार्ड जारी भी किया जाएगा।
कृषि के लिए मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रचर होने के किसानोंं को काफी फ़ायदा होगा।
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डीपीआई से सरकार को किसानोंं की भूमि, उगाई गई फसलों और मौसम के पूर्वानुमान से संबंधित डेटा को व्यवस्थित करना आसान हो जायेगा जिससे सरकार की किसानोंं तक पहुँच बढ़ जाएगी।
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जब किसानों के जमीन और फसलों से जुड़ा सभी डाटा सरकार के पास होगा तो सरकार को किसानोंं के लाभ के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करने में और उनको किसानोंं तक सीधा पहुँचाना आसान होगा। इसके बाद, किसानों को सरकार द्वारा दे जाने वाली किसी भी स्कीम का लाभ उठाने के लिए किसी बिचौलिए को पैसे नहीं देने होंगे।
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अब सरकार के पास किसानोंं के द्वारा पूर्व में लिए गए सही ऋण की जानकारी पहले से ही होगी। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से किसानों को आगे दिए जाने वाले कर्ज से जुड़े रिस्क का आकलन करना सरकार के लिए पहले से आसान हो जाएगा। इससे किसानोंं के बीच क्रेडिट पेनेट्रेशन बढ़ जायेगा, जो अभी लगभग 60% है। यह एक तरह से सरकारी सिबिल स्कोर की तरह काम करेगा।
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क्योकि अब जमीन का ब्यौरा सरकार के पास डिजिटल रूप में होगा, किसानोंं को उनकी जमीन के अवैद्य कब्ज़े की चिंता करने की ज़रूरत नहीं होगी। उनका जमीन पर मालिकाना हक़ बना रहेगा।
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400 जिलों में खरीफ फसलों के लिए डिजिटल फसल सर्वेक्षण की मदद से सरकार के पास अब किसानोंं द्वारा उगाई जाने वाली खरीफ फसलों के बारे में विस्तृत जानकारी है जिसमें किस्में, खेती के तहत क्षेत्र और अपेक्षित उपज शामिल है। यह डेटा प्रभावी कृषि नीतियों की योजना बनाने में मदद करेंगी।
उच्च उत्पादन वाली फसलों को बढ़ावा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार कृषि अनुसंधान प्रणाली की व्यापक समीक्षा करेगी और उत्पादकता बढ़ाने तथा जलवायु अनुकूल किस्मों को जारी करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
सरकार ने देश के उत्पादन देने वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 32 क्षेत्रीय एवं बागवानी फसलों की कुल 109 उच्च उपज देने वाली एवं जलवायु-अनुकूल किस्में जारी करने की भी घोषणा की है। सरकार के इस कदम से किसानों को काफी फ़ायदा होने वाला है।
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किसान उपज वाली फसल किस्मों की खेती करके उसी समय और परिश्रम में अधिक उत्पादन का फ़ायदा उठा सकतें हैं।
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उच्च उपज वाली फसलों के उत्पादन से किसानोंं की आय में भी वृद्धि होगी। उनकी सालाना आय में बढ़ोतरी भी होगी।
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अब किसान ऐसी फसलों का उत्पादन कर सकेंगे जो मौसम के बदलते पैटर्न, जैसे सूखा, बाढ़ और कीटों से अधिक प्रभावित ना हो। इससे उनको कम नुक्सान और अधिक लाभ मिलेगा।
जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान योजना होगी शुरू
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में भारत के 63,000 आदिवासी गांवों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक नई योजना की घोषणा की, जिसका लक्ष्य आदिवासी समुदायों के 5 करोड़ लोगों को कवर करना होगा। जनजातीय मामलों के मंत्रालय को इस बजट में 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछली बार दिए गए आवंटन से 539 करोड़ रुपये अधिक है।
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इस अभियान में आदिवासी क्षेत्रों में सड़क, सिंचाई सुविधाओं और बिजली सहित बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इससे देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानोंं को बेहतर बुनियादी सुविधाएँ मिलेगी और वो बिना देरी किए अपनी उपज को बाजार तक पहुंचा पाएंगे।
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इस योजना में आदिवासी युवाओं, शिल्पकारों, कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला के लिए कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों में प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासी और अनुसूचित जनजाति के किसानोंं को नई कृषि पद्धतियों को अपनाने और उत्पादकता में सुधार करने में सहायता मिलेगी।
आखिर में
इस बजट में ऐसी बहुत सी बाते और योजनाओ का खुलासा किया गया है जो पहले नहीं थी। नेचुरल फार्मिंग, सब्जी उगाने के लिए, एफपीओ और स्टार्ट अप को बढ़ावा, कृषि के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, उच्च उत्पादन वाली फसलों को बढ़ावा, और जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान योजना जैसे कदमों को उठाया गया है।
तो आपको क्या लगता है? क्या यह बजट किसानों के हक़ में है या नहीं? आपके हिसाब से सरकार और क्या कदम उठा सकती थी। कमेंट करके अपने विचार हमसे साझा करें।
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