24 Aug, 2020
आपने अपने जीवन मे कद्दू की सब्जी और मिठाइयां तो खाई ही होंगी पर क्या आप जानते हैं विश्व में भारत कद्दू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है । यह सब्जी के रूप में तो काम आता है बल्कि यह पोटेशियम और विटामिन ए का एक अच्छा स्रोत होता है ।इसमें औषधीय तत्वों के कारण इसके तनों, फलों के रस और फूलों का भी इस्तेमाल किया जाता है । इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे जैविक कद्दू की खेती का तरीका ।
मिट्टी एवं जलवायु
कद्दू की फसल के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी एवं कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी बेहतर होती है । मिट्टी का पीएच 6 से 7 होना चाहिए । कद्दू के लिए इष्टतम तापमान 15 से 27 डिग्री सेल्सियस का होता है । क्योंकि यह एक गर्म मौसम की फसल है । इसलिए ठंडी मिट्टी में इसकी जड़ें आ प्रभावी हो सकती हैं । इसलिए इसकी बेल सूखी मिट्टी एवं पर्याप्त सूर्य के प्रकाश में पनपती हैं ।
बुवाई
प्रति 60 सेंटीमीटर के अंतर पर बीजों की बुवाई करें । कद्दू की फसल के लिए 1 किलो बीज प्रति एकड़ की दर से बोय जाना चाहिए । इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि आप सही और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करें । अच्छे किस्म के बीज बोने के 5 दिनों में ही अंकुरित हो जाते हैं । बीज को अधिमान्यता मिट्टी में 1 या 2 इंच गहरे लगाया जाना चाहिए ।
सिंचाई
कद्दू को हर हफ्ते 1 से 2 इंच पानी की जरूरत होती है । इस काम के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम सिंचाई पद्धति सबसे उपयुक्त रहेगी परंतु इसकी सिंचाई दिन में ही करें । इसके साथ साथ इसका समय समय पर कीटनाशक द्वारा रोग प्रबंधन करते रहे ।
कटाई
जैविक कद्दू की कटाई के लिए सबसे उपयुक्त समय वह होता है जब इसकी त्वचा हल्की पीली भूरी हो जाए । इसके अलावा बिक्री प्रयोजनों के लिए अपरिपक्व कद्दू की कटाई भी कर सकते हैं । छोटे कद्दू को बगीचे की कैसी लड़ाई वाली बेल से काटा जा सकता है । वहीं बड़े कद्दू को काटने के लिए आरी की आवश्यकता पड़ती है । कद्दू को उठाने के लिए ट्रैक्टर की मशीनरी की जरूरत भी पड़ सकती है ।
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