सरकार पर फूटा किसानों का गुस्सा।
इस समय पूरे देश भर के किसान सरकार की कुछ नीतियों से खफा है और ऐसे में आने वाले समय में किसानों की तरफ से सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ने की संभावना है। दरअसल देश के कई इलाकों में किसान सरकार का विरोध कर रहे है और उनके समक्ष अपनी मांगो को रख रहे है। इसी क्रम में बड़ी खबर यह है की केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए कृषि अध्यादेश, बिजली एक्ट के खिलाफ देश के 25 किसान संगठनों द्वारा 14 सितंबर को संसद का घेराव करने की आशंका जताई जा रही है।
किसानों की मांग, बिल माफ करे सरकार:-
कोटा में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से किसानों तथा मजदूरों की विभिन्न समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा। अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा ने बताया कि प्रधानमंत्री को किसान विरोधी अध्यादेश वापस लेने की मांग को लेकर तथा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों का भाव तय करने तथा समस्त उपज को इससे नीचे नहीं बिकने देने के लिए कानून बनाने की मांग की है।
ज्ञापन में राज्य सरकार से भी मांग की है कि बिजली के छह माह के बिल माफ करें एवं विगत समय में नष्ट फसलों का समुचित बीमा व मुआवजा दें। समन्वय समिति ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है की अगर किसान विरोधी अध्यादेश एवं बिजली बिल वापस नहीं लिए तो हजारों किसानों द्वारा आगामी 14 सितम्बर को संसद का घेराव किया जाएगा और साथ ही समिति के सभी दो सो से अधिक संगठनों की ओ रसे देशभर में राज्य व जिला मुख्यालयों पर प्रशासन को घेरा जाएगा। सरकार को इसी प्रकार की चेतावनी पंजाब के मनसा में क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब जिला इकाई की मीटिग दर्शन सिंह टाहलिया की अध्यक्षता में महासचिव भजन सिंह घुम्मन ने भी दी है।
हरियाणा में चल रहा महीनों से प्रदर्शन:-
जहां अब किसान अपनी मांगो को लेकर अब संसद का घेराव करने की चेतावनी दे रहे है वहीं महीनों से हरियाणा क में सरकार से 3 कृषि अध्यादेशों को वापस लेने की मांग जारी है। हाल ही में कुरुक्षेत्र कृषि अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दी।
दरअसल जून में तैयार किए गए अध्यादेशों को सरकार अब संसद में लाएगी, इसे लेकर अब किसानों के प्रदर्शन ने तेजी पकड़ी है और "किसान बचाओ मंडी बचाओ" का नारा बुलंद किया है।
क्या है ये तीन अध्यादेश:-
इन तीन अध्यादेशों में केंद्र सरकार ने फसलों की खरीद के लिए नए नियम तय किए हैं, जिससे किसान नाराज हैं;
● सबसे पहला है किसान उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020, जिसके मुताबिक, पुराने नियमों के अनुसार, अब तक हर व्यापारी केवल मंडी के जरिए ही किसान की फसलों के खरीद सकता था, लेकिन अगर यह कानून पास हो जाता है, तो इसके बाद व्यापारी मंडी से बाहर भी किसान से फसल खरीद सकता है।
● दूसरा है आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, इसमें अनाज, दालों, खाद्य तेल (Edible oil), प्याज, आलू को जरूरी वस्तु अधिनियम से बाहर करके इनकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी गई है।
● इन दोनों के अलावा केंद्र सरकार मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पर ‘किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते को भी मंजूरी दी है। इसमें सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को बढ़ावा देने की भी नीति पर काम शुरू किया है।
यही वे तीन अध्यादेश हैं, जिन्हें लेकर किसान में रोष है और प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में किसानों के साथ कुछ व्यापारी, आढ़ती और मजूदर भी हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दे मध्यप्रदेश में सोयाबीन और हरियाणा में कपास की फसल इस वर्ष बर्बाद हो रही है, ऐसे में किसानों का गुस्सा सरकार तरफ और भी बढ़ सकता है। जरूरी है सरकार किसानों की मांग समझे और उनकी हर प्रकार से सहायता करे।
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