05 Oct, 2020
ठंड आते आते पराली जलाने पर रोकथाम की बात फिर से उठने लगी है, राज्य सरकारें फिर से किसानों को चेतावनी दे रहीं है।
पराली जलाने की समस्या पर पिछले वर्ष जितना हंगामा हुआ था, उसके बाद देश भर के लोगों को इस समस्या की गंभीरता का अनुभव अवश्य हुआ होगा। पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण को रोकने की दृष्टि में पिछले वर्ष पहले जहां लोगों ने पराली जलाने पर रोक लगाने की बात कही, तो फिर इस पर किसानों कि समस्याएं भी उजागर हुई। इसलिए इस वर्ष पंजाब - हरियाणा सरकारें पूरे योजनाबद्ध तरीके से अाई है, तो आइए जानते है सरकार की पूरी योजना।
लेकिन उससे पहले अगर आपको इस विषय में जानकारी नहीं है तो आपको बता दें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मशीन से फसल (मुख्यत धान) की कटाई के बाद फसल अवशेष रह जाते है, जिनको हटाने के लिए किसान उन्हें जला देते है। फसल अवशेषों के जलने पर जो धुआं निकलता है वो इन राज्यों व राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का कारण बनता है। इसलिए इस पर रोकथाम जरूरी है, पिछले वर्ष हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकारों के लिए भी यह जरूरी हो गया कि वो इस पर रोक लगाए और यह भी कि वो फसल अवशेषों को नष्ट करने में किसानों की मदद करें।
इसी को लेकर इस वर्ष भी तीनों राज्यों की सरकारें इसके लिए तैयार है और इसी क्रम में पंजाब और हरियाणा सरकार ने यह योजना बनाई हैं की कैसे समस्या का निदान किया जाए और किसानों की क्या सहायता की जाए।
सरकार करेगी किसानों यह की सहायता:-
इस वर्ष पराली प्रबंधन में पंजाब सरकार किसानों की सहायता के लिए 23 हजार 500 मशीनें भी किसानों को मुहैया करा रही है।
पंजाब सरकार द्वारा नवंबर तक के लिए आठ हजार नोडल अधिकारी तैनात तक कर दिए गए हैं जिनका काम किसानों को पराली न जलाने के लिए चेतावनी देना और उन्हें पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक करना होगा।
यह अधिकारी इसके साथ ही उन किसानों की सूची भी तैयार करेंगे जिन्होंने अपनी जमीन ठेके पर दी हुई है। ये अधिकारी सुपर एसएमएस सिस्टम के द्वारा ऐसे हर एक किसान को फोन करके चेतावनी देंगे।
कृषि विभाग की ओर से पराली हटाने के लिए किसानों को मशीनों की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 जारी किया गया है। इस नंबर पर कॉल करके किसान पैडी स्ट्रा मैनेजमेंट के लिए मशीनों की जानकारी ले सकते हैं। किसानों को अकेले या समूह में 50 से 80 फीसदी सब्सिडी पर ये मशीनें उपलब्ध कराई जाएगी।
इसलिए ना जलाएं पराली:-
पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान तो पहुंचता ही मगर इस वर्ष यह समस्या और भी गंभीर हो गई। माना जा रहा है कि इसके धुएं से कॉरॉना वायरस से प्रभावित लोगों को सांस में तकलीफ होगी। यह भी एक कारण कि सरकार इस वर्ष इतनी मुस्तैदी से काम कर रही है। हालांकि पिछले वर्ष अदालत साफ कह चुकी है पराली जलाने पर प्रतिबंध होना चाहिए, इसके साथ अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी साफ कर चुकी है कि दिल्ली में प्रदूषण का एक मुख्य कारण पराली जलाना भी है।
किसानों को समझना चाहिए है पर्यावरण का संरक्षण साझा दायित्व है, क्योंकि इससे जो नुकसान होगा वो सबमें बराबर बतेगा। किसानों की भूमि के लिए भी पराली जलाना नुकसान दायक होगा। जानकारी के लिए बता दे अकेले पंजाब में इस वर्ष 27 लाख हैक्टेयर जमीन पर धान की खेती हुई है, इसी वजह से करीब 16.50 मिलियन टन पराली इस बार होने की संभावना जताई जा रही है, जिसको जलाने पर बड़े स्तर पर वायु प्रदूषण होगा।
इतने पर भी जलाई पराली तो होगी कार्रवाही:-
पिछले वर्ष कोर्ट की फटकार के बाद सरकारों ने जाना कि पराली प्रबंधन ने किसानों की सहायता करना कितना जरूरी है, क्योंकि किसानों के लिए मशीनों से यह करना बहुत खर्चीला है और बड़ी संख्या में किसान इसके प्रति जागरूक भी नहीं हैं। इसलिए इस वर्ष सरकार पूरी योजना के साथ अाई है, सरकार किसानों को पूरी मदद दे रही है। लेकिन इतने पर भी जलाई पराली तो किसानों पर कानूनी कार्यवाही होगी, भूमि रिकॉर्ड में उनकी जमीन के आगे लाल निशान लगेगा।
आपको बता दें सरकारें इसके पहले भी इस तरह की कार्यवाही कर चुकी हैं, यूपी के बरेली में पिछले वर्ष किसानों को गिरफ्तार किया गया, पंजाब और हरियाणा में भी ऐसी कई खबरें सामने आ चुकी है।
तो हमारा भी किसानों से निवेदन है पराली ना जलाए, सरकार की सहायता ले और सरकार कार्यवाही से बचें।
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