24 Jun, 2021
ट्रैक्टर में इतने सारे फीचर होते हैं कि कई बार किसान को समझ में ही नहीं आता कि किस का क्या मतलब है, एयर क्लीनर का क्या मतलब है ग्राउंड क्लीयरेंस का क्या मतलब है, नहीं पता होता। इसलिए हम आपको हर फीचर का मतलब बताने जा रहे हैं जिससे आपको ट्रैक्टर खरीदने में दिक्कत ना हो।
एक ट्रैक्टर में कई तरह के स्पेसिफिकेशंस, विशेषताएं पाई जाती हैं। किसी ट्रैक्टर के कुछ खासियत होती है और किसी की कुछ और। इतने स्पेसिफिकेशंस, कितने प्रकार के फीचर कई किसानों को उलझा देते हैं, जिसके चलते उन्हें कौन सा ट्रैक्टर खरीदना चाहिए यह तय करने में दिक्कत आती है। इसीलिए हम आपको बताने जा रहे हैं ट्रैक्टर के किस स्पेसिफिकेशन का क्या मतलब होता है।
इंजन सीसी - क्यूबिक कैपेसिटी व सिलिंडर (Engine cc - cubic capacity cylinder):-
एक ट्रैक्टर में कितने सीसी का इंजन है या इंजन में कितने सिलेंडर है इससे तय होता है कि वह कितनी ताकत दे सकता है। ज्यादा सीसी ज्यादा सिलेंडर ज्यादा बढ़ा इंजन ज्यादा ताकत देगा।
कूलिंग सिस्टम और एयर क्लीनर (Cooling system and Air cleaner):-
यह फिचर जरूर देख लें इसी से इंजन कितना चलेगा यह तय होता है। इंजन तक शुद्ध हवा पहुंचाने के लिए आईल बाथ एयर क्लीनर बेहतर विकल्प है और इंजन को ठंडा रखने के लिए एयर कूल्ड कूलिंग सिस्टम बेहतर है।
क्ल्च टाइप (Clutch type):-
तीन प्रकार के कलर होते हैं सिंगल क्लच, डुअल क्लच और डबल क्लच।
डबल क्लच और डुअल क्लच सुचारू रूप से काम करता है और पीटीओ अनुप्रयोगों के लिए सिंगल क्लच से बेहतर है।
ब्रेक टाइप (Brake type):-
ऑयल इम्मरसेड (तेल में डूबे) ड्राय डिस्क ब्रेक से बेहतर विकल्प।
स्टीयरिंग टाइप (Steering type):-
पॉवर स्टीयरिंग का विकल्प मैनुअल से आधुनिक और बेहतर।
पीटीओ - पॉवर टेक ऑफ (PTO - Power Take Off):-
ट्रैक्टर के पीटीओ से उत्पन्न अधिकतम ताक़त पीटीओ एचपी से देखी जाती है।
ट्रैक्टर पीटीओ का प्रकार, इसमें इंडिपेंडेंट (स्वतंत्र) पीटीओ है बेहतर विकल्प, जिसमें पीटीए चलाने के लिए अलग से क्लच दिया होता है।
पीटीओ की रफ्तार, यही रफ्तार इंप्लीमेंट के घूमने वाले हिस्सो की होती है, रिवर्स स्पीड इंप्लीमेंट के फंसने की स्तिथि में पर उपयोगी सिद्ध होगा।
लिफ्टिंग कैपेसिटी (Lifting capacity):-
लिफ्टिंग कैपेसिटी वो अधिकतम भार जो हाइड्रोलिक पंप के बूते ट्रैक्टर उठा सकता है। लोड के दबाव को झेलने के लिए पंप द्वारा उत्पन्न फ्लो पंप फ्लो होता है।
फ्यूल कैपेसिटी (Fuel capacity):-
ईंधन की अधिकतम गुंजाइश जो ट्रैक्टर में एक बार में रखी जा सकती है (लीटर में)। ज्यादा बड़ा फुल टैंक होगा तो बार-बार डीजल डलवाने की झंझट नहीं होगी।
ट्रैक्टर के आयाम (Tractor dimensions):-
लेंथ ट्रैक्टर की पूरी लंबाई, हाइट ट्रैक्टर की पूरी ऊंचाई और वैट ट्रैक्टर का कुल वज़न भी ट्रैक्टर की जानने लायक विशिष्टताएं हैं।
व्हील बेस
इसके साथ आगे के पहिए के केंद्र से लेकर पिछले पहिए के केंद्र तक की दूरी को व्हील बेस कहते है, ट्रैक्टर का संतुलन इस पर निर्भर करता है।
ग्राउंड क्लीयरेंस
इसके ग्राउंड क्लीयरेंस, जिसका मतलब है जमीन की सतह से ट्रैक्टर का निचला हिस्सा कितना ऊपर है, अगर यह ज्यादा होगा तो ट्रैक्टर को ज्यादा ऊंची मेड़ आदि पार करने में भी दिक्कत नहीं होगी।
टायर
इसके अलावा टायर का पूरा आकार भी देखें, कई ट्रैक्टरों में विकल्प में बड़ी साइज आती है, बड़े टायर से अच्छी ग्रिप सतह पर बनती है।
गेयर व मैक्सिमम स्पीड (Gear and Maximum speed):-
ज्यादा गेयर फायदेमंद होते हैं, आप अलग अलग जगह व कामों के हिसाब से गेयर बदल सकते है, और इंधन बचता है।
मैक्सिमम स्पीड से तो यह पता चलता है कि ट्रैक्टर कितनी अधिकतम रफ्तार तक चल सकता है। अगर ट्रैक्टर की रफ्तार ज्यादा हो तो ढुलाई व अन्य व्यावसायिक कार्यों में आपको ज्यादा समय नहीं लगेगा।
वारंटी अवधि (Warranty period):-
एक ट्रैक्टर की वारंटी साल व घंटों (कितने समय तक ट्रैक्टर चलाया गया) में तय होती है, इनमें से जो भी पहले समाप्त होता है उसी से वारंटी खत्म मानी जाएगी।
पहले आमतौर पर 2 वर्ष की वारंटी ही दी जाती थी लेकिन आज के समय कई ट्रैक्टरों पर आपको 6 वर्ष तक की वारंटी भी मिल जाएगी।
यह थे सभी मुख्य फीचर्स जिन्हे समझने किसानों को कई बार दिक्कत आती है, इसके अलावा किसान भाई अभी नहीं समझ पाते ट्रैक्टर की कीमत अलग अलग राज्य व जिले के हिसाब से तय होती है। ऐसे में उन्हें एक ट्रैक्टर के लिए कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी इसका पता ट्रैक्टर ज्ञान पर ऑन रोड प्राइस से ही चलेगा।
https://tractorgyan.com/tractor-on-road-price
हमने कई सारे फीचर्स की जानकारी दी, इसके अलावा भी अगर कोई फीचर छूट गया और उस का मतलब आपको समझ नहीं आता, तो आप कमेंट करके हमसे पूछ सकते।
उसके साथ यह ध्यान रखें अगर आपको ट्रैक्टर की कोई भी जानकारी चाहिए हो तो ट्रैक्टर ज्ञान पर जानिए, जहां किस फीचर का क्या असर होता है यह समझाते हुए ही बारीकी से ट्रैक्टर की जानकारी दी जाती है।
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