जानिए रबी फसलों की सिंचाई कब और कितनी करनी चाहिए?
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सिंचाई किसी भी फसल की सफलता और उत्पादकता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह फसल की ग्रोथ, पोषण और बेहतर उपज के लिए आवश्यक है। अलग-अलग फसलों की सिंचाई की जरूरतें उनकी मिट्टी, जलवायु, और आदि के आधार पर बदलती हैं। इस आर्टिकल में हम गेहूं, चना, जैसी प्रमुख रबी फसलों की सिंचाई आवश्यकताओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
रबी फसलों के विकास के मुख्य चरणों के हिसाब से सिंचाई की आवश्यकता
फसलों के विकास के मुख्य चरण (स्टेजेस) उनके लाइफ साइकल के दौरान बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे बीज का अंकुरित होना, फूल आना, और दाने भरना। इन स्टेजेस में पौधों की पानी की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि यह उनकी उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
यदि इन स्टेजेस में पर्याप्त सिंचाई न मिले, तो पौधे खराब हो सकते हैं, जिससे उत्पादन में कमी हो सकती है। चलिए इसलिए जानते है किस रबी फसल को कब और कितनी सिंचाई की ज़रूरत है।
मुख्य रबी फसलों की सिंचाई आवश्यकता
गेहूं
गेहूं को सिंचाई के लिए हल्की मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। प्रति सिंचाई 4-5 सेमी पानी देना चाहिए।
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पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करनी चाहिए।
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दूसरी सिंचाई बालियां निकलने से पहले, बीज बोन के 40-50 दिन के बाद करें।
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तीसरी सिंचाई गाँठ बनने के समय।
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चौथी सिंचाई 80-85 दिन बाद फूल निकलने पर।
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पाँचवी सिंचाई 100-105 दिन बाद।
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छठीं सिंचाई दाने बनते समय की जाती है।
सूरजमुखी
सूरजमुखी फसल गहरी जड़ों वाली होती है, लेकिन इसे उगते समय नमी की आवश्यकता अधिक होती है।
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पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद होती है।
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दूसरी सिंचाई कली बनने के समय की जाती है।
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तीसरी सिंचाई फूल खिलने के समय की जाती है।
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चौथी सिंचाई बीज आने के समय होती है।
चना
चना को कम पानी की आवश्यकता होती है। हल्की सिंचाई पर्याप्त होती है। चने की फसल में फूल आने पर सिंचाई नहीं करना चाहिए।
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फूल आने से पहले और बुवाई के 45-60 दिनों के बाद सिंचाई करें।
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दूसरी सिंचाई फली बनने के समय करें। ठण्ड में बारिश होने पर सिंचाई ना करें।
जौ
जौ की फसल को लिमिटेड सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर इसकी ग्रोथ स्टेजेस के दौरान। इसके लिए 2 से 3 सिंचाई पर्याप्त होती है।
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पहली सिंचाई बीज बोने के 30-50 दिन बाद की जाती है।
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दूसरी सिंचाई 60-70 दिनों बाद बाली आने के समय की जाती है।
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तीसरी सिंचाई जौ बनने के दौरान 90-95 दिनों बाद की जाती है।
मटर
मटर को ठंडी जलवायु में उगाया जाता है और इसे समय-समय पर पानी की जरूरत होती है। पानी की अधिकता से बचें। हर बार 2-3 सेमी पानी पर्याप्त होता है।
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पहली सिंचाई फूल आने के समय दें।
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दूसरी सिंचाई दाने बनने के समय आवश्यक है।
मसूर
मसूर की फसल को भी कम पानी की ज़रूरत होती है। पानी का ठहराव फसल के लिए हानिकारक हो सकता है। ठण्ड में बारिश हो तो सिंचाई ना करें।
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पहली सिंचाई फूल आने पर करें।
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दूसरी सिंचाई फली बनने के समय दें।
सरसों
सरसों को 25-30 से.मी. सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन यह सही समय पर होनी चाहिए।
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पहली सिंचाई बुवाई के 30-35 दिन बाद करें।
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दूसरी सिंचाई फली बनने के समय दें।
निष्कर्ष
फसलों की सिंचाई की आवश्यकताएँ उनकी उत्पादन क्षमता और मिट्टी की स्थिति के अनुसार बदलती हैं। समय पर और उचित मात्रा में सिंचाई न केवल फसल की गुणवत्ता को बढ़ाती है, बल्कि उत्पादन भी बढ़ाती है।
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