18 Sep, 2020
कृषि में सिंचाई का क्या महत्व है ये हर किसान भली भांति समझता है। किसान जानता है कि अगर उसे सिंचाई के लिए जल स्त्रोत ना मिला तो वह कृषि नहीं कर पाएगा। जिन इलाकों में सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जल नहीं मिलता, वह किसान बहुत परेशान रहता है। राजस्थान में पानी की कमी आम बात है, ऐसे में वह कृषि के लिए जल स्रोतों का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। इसी कारण जल स्त्रोतों के निर्माण को बढ़ावा देना सरकार के लिए भी बहुत जरूरी है, इस दिशा में राजस्थान सरकार राज्य में किसान डिग्गी अनुदान योजना को चलाती है। इस योजना के तहत सरकार किसानों को डिग्गी निर्माण पर 50% की सब्सिडी देती है, इससे आर्थिक रूप से असमर्थ किसान भी अपने खेत में डिग्गी का निर्माण करा सिंचाई की परेशानी दूर कर सकते है।
ये डिग्गी आखिर होती क्या है?
खेत के अंदर पानी जमा करने के लिए जो बड़ा गढ्डा खोदा जाता है, उसे ही डिग्गी कहते है। अगर इस को पूरा कंक्रीट से बनाते है तो इसे पक्की डिग्गी कहते है और अगर प्लास्टिक चादर का बिछा कर कच्चे गड्डे में ही पानी भरा जाता है तो उसे कच्ची डिग्गी बोला जाता है।
कितना अनुदान मिलेगा?
किसान द्वारा कम से कम 4.00 लाख लीटर भराव क्षमता एवं इससे अधिक क्षमता की पक्की डिग्गी का निर्माण करने पर इकाई लागत का 50 प्रतिशत या राशि रुपयें 350/- प्रति घनमीटर भराव क्षमता के हिसाब से अनुदान मिलता है। प्लास्टिक लाईनिंग (कच्ची) डिग्गी का निर्माण करने पर इकाई लागत का 50 प्रतिशत या राशि रुपयें 100/- प्रति घनमीटर भराव क्षमता अथवा अधिकतम रूपये 2.00 लाख का अनुदान मिलता है।
कैसे मिलेगा लाभ?
पात्रता:- राजस्थान का कोई भी किसान इस योजना के लिए पात्र है अगर उसके पास कम से कम 1 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है।
जरूरी दस्तावेज:-
डिग्गी योजना की आवेदन प्रक्रिया:-
इसके लिए आपको ई मित्र पर ही पंजीकरण करना है, वह आपको डिग्गी हेतु सब्सिडी का विकल्प मिल जाएगा।
फिर फार्म भरने के लिए आपको अपना आधार नंबर या भामाशाह नंबर डालना होगा जिसके बाद पूरा फार्म आपके सामने आएगा। इसे सावधानी से भरे व अंत में दस्तावेज़ अपलोड कर, इसे सबमिट करें।
इसके बाद आवेदन कि रसीद प्राप्त भी डाउनलोड करें।
अगर सब्सिडी के लिए आपका चयन होता है तो जिम्मेदार अधिकारी खुद आपकी भूमि के निरक्षण पर आएगा और आपकी सब्सिडी मंजूर की जाएगी।
आवेदन प्रक्रिया की अधिक जानकारी के लिए आप निम्न स्तर पर संपर्क करें:-
ग्राम पंचायत स्तर पर - कृषि पर्यवेक्षक
पंचायत समिति स्तर पर - सहायक कृषि अधिकारी
उप जिला स्तर पर - सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) / उद्यान कृषि अधिकारी।
जिला स्तर पर - उप निदेशक कृषि (विस्तार) / उपनिदेशक उद्यान।
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