26 Oct, 2020
अब तो ब्याज के भाव में उतार चड़ाव जैसे हर साल की ही बात है। इस बार प्याज इतनी महंगी हो गई कि आम जनता बुरी तरह से परेशान है, प्याज के भाव देशभर में 70 रुपए से 100 रुपए प्रति किलो तक भी पहुंच रहें है। लेकिन प्याज के भाव इतने क्यों बढ़ रहे है, और क्या बढ़ते भावों से किसानों को फायदा पहुंच रहा है।
बारिश में खराब हुई प्याज:-
इस बार देश के इलाकों में भारी बारिश हुई जिससे बड़ी मात्रा प्याज खराब हो गई। ऐसे में ज्यादातर किसान इसलिए परेशान है क्योंकि उनकी प्याज बर्बाद हो गई, बढ़ती कीमतों का फायदा उन्हें ही हो रहा है जिन्होंने प्याज़ को सही सलामत रखा है। तो यह जाहिर है कि बढ़ती कीमतों से जहां आम जनता परेशान है तो किसानों का भी एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जिसने नुकसान उठाया है।
प्याज की कालाबजारी हो रही है:-
प्याज़ की बढ़ती कीमतों को हम मौसमी समस्या देख कर छोड़ देते है, पर यह हमारे पूरे तंत्र की समस्या भी है। भारत प्याज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, देश में इस वर्ष लगभग 26 मिलियन टन प्याज का उत्पादन हुआ है। भारत में हर साल प्याज का उत्पादन तेजी से बड़ रहा है, लेकिन मांग इतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है। यही कारण इस वर्ष प्याज का उत्पादन प्याज की मांग से बहुत अधिक है, बारिश से प्याज खराब भी हो जाएं तो भी देश की पूर्ति हो सकती है।
इन पूरे आंकड़ों से यह जाहिर होता कि प्याज का अवैध भंडारण और कालाबजारी की जा रही है। प्याज की कालाबजारी से 10 से 18 रुपए किलो के भाव प्याज बेचने वाले किसान को भी नुकसान जो रहा है और 100 रुपए किलो में प्याज खरीदने वाले ग्राहक को भी, फायदा केवल बिचोलियों का हो रहा है।
सरकार ने उठाया यह कदम:-
प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब सरकार भी थोड़ी क्रिया में अाई है, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के ट्विटर अकाउंट से मिली जानकारी के अनुसार प्याज की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सरकार ने प्याज का निर्यात बंद कर दिया हैं, जिससे घरेलू बाज़ार में प्याज की कमी ना आए।
सरकार का कहना है कि वे अब बफर स्टॉक से प्याज की आपूर्ति करेंगे। इसके अलावा सरकार ने आयात के नियमों में भी ढील दी है, ताकि देश में बाहर से ज्यादा से ज्यादा प्याज आ सकें।
सरकार के यह कदम अस्थाई तौर पर तो बिल्कुल उचित दिखाई पड़ते हैं, पर समस्या यह है कि खाद्य पदार्थो हर साल तेजी बढ़ते दामों को कम करने के लिए सरकार के पास कोई ठोस रणनीति नजर नहीं आती। जहां भंडारण क्षमता बढ़ाने की जरूरत है और कालाबाजारी को रोकने की जरूरत है वहां ना केवल केंद्र बल्कि सभी राज्य सरकारें नाकाम हुई है।
सरकार ने जो कदम अभी उठाए है उनसे कीमतें तो शायद कम हो जाएं पर सवाल यह है कि क्या इससे किसानों के नुकसान की भी भरपाई हो पाएगी।
तो यह थी प्याज की बढ़ती कीमतों से जुड़ी विशेष जानकारी, जिससे किसान और आम जन अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे। इसी तरह की किसानी व ट्रैक्टर संबंधी जानकारी आपको TractorGyan पर मिलती है, तो जुड़े रहें ट्रैक्टर ज्ञान से और जागरूक रहें।
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