क्या 15 से 20 साल ज्यादा पुराना ट्रैक्टर अब कबाड़े में जाएगा?
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क्या आपको कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy) बारे में पता है? क्या आपके मन में भी यह संदेह है कि ट्रैक्टर कबाड़ नीति के अंतर्गत आता है या नहीं? ट्रैक्टर के अलावा अन्य कृषि उपकरण कबाड़ी नीति का हिस्सा है या नहीं? तो घबराइए मत आज हम आपके मन में उठ रहे इन तमाम प्रश्नों का जवाब देंगे! और उनका जवाब ढूंढने के लिए आप इस ब्लॉग को ध्यान से पढ़ें।
नमस्कार! ट्रैक्टरज्ञान में आपका स्वागत है!जब से सरकार ने Vehicle Scrappage Policy यानी गाड़ियां के लिए कबाड़ नीति का ऐलान किया है, लोगों के मन में सौ तरह के सवाल घूम रहे हैं जिनके पास पुरानी गाड़ियां हैं. क्योंकि अगले साल से जब ये योजना लागू हो जाएगी तो पुरानी गाड़ियों का रखरखाव थोड़ा महंगा हो जाएगा।
क्या है कबाड़ नीति?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के आम बजट में पुराने और प्रदूषण फैला रहे वाहनों को हटाने के लिए बहुप्रतीक्षित स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy) का ऐलान किया। इसके तहत 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा यानी उन्हें सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं होगी। वहीं प्राइवेट वाहनों की अवधि 20 साल तय की गई है। यानी ऐसे वाहनों को 20 साल के बाद स्क्रैप कर सकेंगे।
इस समय अवधि के बाद भी अगर कोई अपने पुराने वाहनों को सड़क पर दौड़ आना चाहता है तो उसे ग्रीन टैक्स देना होगा।
सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश करते हुए कहा कि निजी वाहनों को 20 साल होने पर और व्यावसायिक वाहनों को 15 साल होने पर फिटनेस जांच करानी होगी। उन्होंने कहा कि यह नीति देश की आयात लागत को कम करने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल और ईंधन की कम खपत करने वाले वाहनों को बढ़ावा देगी।
यह नीति एक अप्रैल 2022 से लागू होगी। फिलहाल सरकार 2022 से इसे लागू करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों की मंजूरी का इंतजार कर रही है।
कौन-कौन से वाहन इस नीति के अंतर्गत आते हैं?
कबाड़ नीति के अंतर्गत कार,ट्रक,सरकारी और निजी बसें, ऑटो रिक्शा आदि आते हैं। लेकिन सरकार ने इस में कृषि वाहनों को शामिल नहीं किया है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि ट्रैक्टर आदि वाहन केवल गांव में खेती-बाड़ी के लिए ही काम आते हैं,प्रदूषण की समस्या शहरों में ज्यादा जटिल है। अतः यह स्पष्ट है कि ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरण को इस नीति के अंतर्गत नहीं रखा गया है।
क्या होंगे कबाड़ नीति के फायदे?
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नई वाहन कबाड़ नीति के आने से भारत में वायु प्रदूषण के स्तर में काफी हद तक कमी आएगी।
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साथ ही इसे देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर को भील फायदा होगा, क्योंकि नए वाहनों की मांग बढ़ेगी।
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सरकार लगातार वाहनों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नए सुरक्षा मानक लागू कर रही है, इस नीति से पुराने असुरक्षित वाहन सड़कों से हटेंगे।
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साथ ही सरकार पुराने वाहनों को कबाड़ में देने वालों को प्रोत्साहन राशि भी देगी। जिससे कि ज्यादा से ज्यादा व्यक्ति अपने पुराने वाहन को कबाड़ में दें।
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नए सुरक्षा मानक वाले वाहनों से सड़क पर आने से यात्रा सुरक्षित बनेगी।
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इसके अलावा सरकार तेल आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है, इलेक्ट्रिक वाहनों के आने से सरकार का यह उद्देश्य पूरा हो सकता है।
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