12 Sep, 2023
भारत सरकार ने कृषि और कृषि उपकरणों के उपयोग और उससे जुड़े व्यवसाय को और भी सरल और सुगम बनाने की दिशा में एक एहम कदम उठाते हुए प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए ट्रैक्टरों के परीक्षण की प्रक्रिया को काफी आसान बना दिया है।
भारत में ट्रैक्टर परीक्षण और उससे जुड़े डाटा को प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी सीएफएमटीटीआई, बुदनी के हाथों में हैं और इन नए दिशानिर्देशों के मुताबिक अब यह संस्थान ट्रैक्टर परीक्षण के लिए नई प्रक्रिया को अपनाएगा।
चलिए हम आगे जानते है कि आखिर इन नए दिशानिर्देशों के हिसाब से अब भारत में ट्रैक्टर निरीक्षण कितना आसान हो गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के द्वारा हाल ही में जारी की गयी प्रेस रिलीज से हमे पता चलता है कि:
अब ट्रैक्टर निर्माताओं को सब्सिडी योजना में भाग लेने की अनुमति है। इसके लिए उनको सिर्फ एक सीएमवीआर/उत्पादन की अनुरूपता (सीओपी) प्रमाण पत्र और कंपनी द्वारा एक स्व-घोषणा पत्र को जमा करवाना होगा। उस स्व-घोषणा पत्र में यह घोषणा करनी पड़ेगी की जिस ट्रैक्टर को सब्सिडी के तहत शामिल करने जा रहें हैं वो ट्रैक्टर कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा दिए गए विनिर्देशों के अनुरूप है।
इसके साथ-साथ, यह भी बताना ज़रूरी है कि ट्रैक्टर निर्माता जिस ट्रैक्टर पर परीक्षण कर रहें है उसकी परीक्षण रिपोर्ट 6 महीने के भीतर डीए एंड एफडब्ल्यू को प्रस्तुत करनी होगी ।
निर्माताओं को सब्सिडी के तहत आपूर्ति किए जाने वाले ट्रैक्टर पर न्यूनतम तीन साल की वारंटी देनी होगी।
इससे पहले की हम आपको यह बताएँ कि ट्रैक्टर परीक्षण अब कितना सरल हुआ, आइए यह जानतें है कि पहले यह करना कितना मुश्किल था। पहले ट्रैक्टर परीक्षण दो तरह के होतें थे।
(ए) आवश्यक परीक्षण
(बी) वैकल्पिक परीक्षण
आवश्यक परीक्षण एक लम्बीे प्रक्रिया होती थी जिसमे कईं तरह के परीक्षण जैसे मुख्य पावर टेक-ऑफ परीक्षण, बेल्ट या चरखी शाफ्ट परीक्षण, इंजन परीक्षण, ड्रॉबार परीक्षण, गुरुत्वाकर्षण केंद्र का परीक्षण, ड्राइवर की सीट की दृश्यता का परीक्षण, टर्निंग स्पेस परीक्षण, टर्निंग सर्कल परीक्षण, हाइड्रोलिक पावर लिफ्ट परीक्षण, ब्रेक टेस्ट परीक्षण, और एयर क्लीनर ऑयल पुल-ओवर परीक्षण।
इसके अलावा वैकल्पिक परीक्षण भी होता था जिसमे शोर माप और कुछ विशेष परीक्षण शामिल थे। इन सभी परीक्षणों को करने में बहुत सा समय और पैसा लगता था।
इसलिए किसी भी ट्रैक्टर निर्माता के लिए एक नया ट्रैक्टर बाज़ार में लाना एक बहुत ही मुश्किल काम होता था। जब नए ट्रैक्टर मॉडल्स बाज़ार में आसानी ने नहीं उपलब्ध होते थे तो किसानो को पुराने ट्रैक्टर मॉडल्स के साथ ही गुजारा करना पड़ता था और इस तरह वो आधुनिक कृषि तकनीकी से वंचित रहते थे।
ट्रैक्टर परीक्षण प्रक्रिया की जटिलता को कम करने के लिए जारी किये गए नए निर्देशों के हिसाब से अब ट्रैक्टर निर्माताओं को सिर्फ चार परीक्षण अनिवार्य है। ये चार परीक्षण है:
ड्रॉबार प्रदर्शन परीक्षण
पीटीओ प्रदर्शन
हाइड्रोलिक प्रदर्शन परीक्षण
ब्रेक प्रदर्शन
इन नए दिशानिर्देशों में इस परीक्षणों को पूरा करने की प्रक्रिया को भी बताया गया है।
जैसे, ड्रॉबार प्रदर्शन परीक्षण करते समय लोड कार का उपयोग किया जायेगा और परीक्षण केंद्रीय फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान बुदनी या महिंद्रा रिसर्च वैली (एमआरवी), चेन्नई में ही किया जा सकता है। ट्रैक्टर निर्माताओं को किसी अन्य सरकारी अधिकृत संस्थान या अपनी सुविधाओं से यह परीक्षण करने की अनुमति नहीं है, बशर्ते इस परीक्षण को आयोजित करने के लिए उनके पास पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो।
अगर ट्रैक्टर निर्माताओं अपनी जिम्मेदारी पर यह परीक्षण करवातें है तो उनको यह सुनिश्चित करना होगा कि परीक्षण का डाटा सीएफएमटीटी बुदनी या चयनित सरकारी अधिकृत संस्थान को एक रिपोर्ट जारी करके दिया जाए। इस रिपोर्ट में यह शामिल किया जाना चाहिए कि यह परीक्षण ट्रैक्टर निर्माता ने खुद ही करवाया है।
पीटीओ प्रदर्शन और हाइड्रोलिक प्रदर्शन परीक्षण ट्रैक्टर निर्माता अपनी सुविधाओं पर आयोजित कर सकतें है। सभी परीक्षण डेटा स्व-प्रमाणन के साथ सीएफएमटीटी, बुदनी या चुने हुए सरकारी अधिकृत संस्थान को प्रदान किया जाना अनिवार्य है। यह परीक्षण लागू बीआईएस कोड के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
ट्रैक्टर निर्माता इस परीक्षण रिपोर्ट जो सीएफएमटीटी, बुदनी के अलावा किसी अन्य सरकारी अधिकृत संस्थान/सुविधाओं में भी जमा करवाने का विकल्प है। पर यह ज़रूरी है कि जिस सरकारी अधिकृत संस्थान/सुविधाओं में आप यह परीक्षण रिपोर्ट को जमा करवा रहें है वहाँ इस परीक्षण को आयोजित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा है।
अगर हम ब्रेक प्रदर्शन परीक्षण की बात करें तो यह परीक्षण सीएमवीआर के द्वारा बताए गए दिशानिर्देशों के हिसाब से ही करना चाहिए। अगर किसी ट्रैक्टर निर्माता ने पहले से ही सीएमवीआर के तहत अधिकृत संस्थानों में यह परीक्षण करवा लिया है तो उनको सीएफएमटीटी बुदनी या किसी अन्य सरकारी अधिकृत संस्थानों में इसको करने की आवश्यकता नहीं है और वही डेटा परीक्षण रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
ट्रैक्टर परीक्षण एक छोटा काम नहीं है और इसके लिए ट्रैक्टर निर्माताओं को पहले से कुछ तैयारियाँ करनी होगी। जैसे कि:
तैयार की गयी यूनिटस में से किसी भी एक यूनिट को नमूने के रूप में चुना जायेगा।
यह ज़रूरी हैं की परीक्षण के लिए चुना गया ट्रैक्टर नया है और परीक्षण ने पहले ही निर्माता द्वारा चालू किया जा चूका हो।
ध्यान रहें की परीक्षण रिपोर्ट में परीक्षण या रनिंग-इन की जगह और अवधि के बारे में बताया गया हो।
ट्रैक्टर परीक्षण की अवधि के दौरान निर्माता को गवर्नर, इग्निशन और इंजेक्शन में कुछ बदलाव की अनुमति है।
बैलास्टेड ट्रैक्टर के परीक्षण के समय निर्माता बाजार में मिलने वाले व्हील डिवाइस और ब्लास्ट भार का उपयोग कर सकते हैं।
परीक्षण के दौरान ट्रैक्टर निर्माता को ट्रैक्टर की विशिष्टताओं के बारे में जानकारी देनी होगी।
परीक्षण के दौरान की जाने वाली मरम्मत और बदलावों को लिखित मे रिकॉर्ड करना चाहिए।
परीक्षण के दौरान इस्तेमाल में की जाने वाले ईंधन और स्नेहक का चयन व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उत्पादों में से ही किया जाना चाहिए।
लंबाई, चौड़ाई और अन्य आयामों के सही माप के लिए, ट्रैक्टर को एक मजबूत क्षैतिज सतह पर स्टीयरिंग पहियों के साथ ऐसी स्थिति में खड़ा करना चाहिए कि ट्रैक्टर एक सीधी रेखा में चल सके।
परीक्षण के दौरान वायवीय टायरों में दबाव ट्रैक्टर निर्माता द्वारा क्षेत्र कार्य के लिए अनुशंसित किया गया है उतना ही होना चाहिए।
ट्रैक्टर परीक्षण से जुड़े ये नए दिशानिर्देश सहीं में एक नयी आशा की किरण ले कर आए है। अब निर्मातों के लिए नए ट्रैक्टर लाना आसान हुआ है और किसानो को जल्दी-जल्दी नए ट्रैक्टर मॉडल्स देखने को मिलेंगे। यह सहीं में एक अच्छा कदम है और ट्रैक्टर ज्ञान इसकी सरहाना करता है। हम इससे तरह कृषि जगत से जुडी हर खबर पर अपनी नजर गड़ाए बैठे है और आपके लिए सबसे पहले सबसे सटीक जानकारी लाते रहेंगे।
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