बिना ट्रैक्टर महाकुंभ नहीं था संभव
नदियों में बहती श्रद्धा, सड़कों पर दौड़ते ट्रैक्टर, और कुंभ में उमड़ी भीड़ – क्या अद्भुत नज़ारा!
प्रयागराज महाकुंभ मेला, 2025 का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जा रहा है। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और तकनीक का महासंगम भी रहा। 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने इस महापर्व में भाग लिया और संगम में स्नान कर अपनी आत्मा को शुद्ध किया।
सिर्फ भारत नहीं, 75 से ज़्यादा देशों के लोगों ने इस पुण्य आयोजन में भाग लिया। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार और शहर की जनता द्वारा इस महाकुंभ आयोजन को सफल बनाने के लिए हर संभव कोशिश की गई। प्रयागराज में पधारी इस अपार भीड़ को संभालने में ट्रैक्टरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रयागराज महाकुंभ 2025: आस्था और ट्रैक्टरों का अद्भुत संगम
144 वर्षों बाद आयोजित हुआ यह महाकुंभ, केवल एक मेला नहीं, आस्था का महासागर था। करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने आए, और इस अपार भीड़ को संभालने में खेतों से निकलकर ट्रैक्टर कब एक ज़िम्मेदार हीरो बनकर उभरे पता ही नहीं चला।
खेतों से निकलकर ट्रैक्टर इस धरा की शान बनें, आस्था की इस राह में, देश की पहचान बनें
जब कुंभ मेले के घाट तैयार हो रहे थे, तब रेत और मलबा हटाने में यही ट्रैक्टर सबसे आगे थे। अपनी कॉम्पैक्ट बॉडी और बेहतरीन पावर की बदौलत संकरी गलियों से लेकर रेतीले घाटों तक हर जगह ट्रैक्टर्स आसानी से पहुंचकर अपना काम कर रहे थे।
दूर-दराज़ से आए संतों और श्रद्धालुओं के लिए राशन, सब्ज़ी, और पानी की सप्लाई करनी थी, तब भी ट्रैक्टर ही दौड़ते रहे। ग्रामीण इलाकों से लोग इन्हीं ट्रैक्टरों पर सवार होकर संगम तक पहुंचे।
हर दिन निकलने वाले लाखों टन कचरे को उठाने के लिए जब साधारण गाड़ियाँ थक गईं, तब ट्रैक्टरों ने कमान संभाली। ट्रैक्टर्स में जोड़कर सेप्टिक टैंक्स के माध्यम से लगातार घाटों से कचरा साफ़ किया गया। श्रद्धालुओं की प्यास बुझाने के लिए जल आपूर्ति में भी ट्रैक्टर ही सबसे आगे रहे।
कुछ दिन पहले शाही स्नान के दौरान भगदड़ मच गई। एंबुलेंस भीड़ में फंसी रह गईं, लेकिन ट्रैक्टर आगे आए और घायलों को अस्पताल पहुँचाया। कुंभ में एक बार फिर साबित हुआ कि ट्रैक्टर्स सिर्फ खेतों की नहीं, बल्कि हर तरह की चुनौती का हल हैं!
करोड़ रूपये का ट्रैक्टर रहा आकर्षण का केंद्र
सिर्फ आम जनता नहीं बल्कि साधु महात्माओं द्वारा भी ट्रैक्टर को अपनी सवारी के रूप में यूज़ किया गया। कई महंतों और शंकराचार्यों के रथ को ट्रैक्टर्स में अटैच कर के ही घुमाया गया।
इस कुंभ में सबसे ज़्यादा चर्चित रहा "ट्रैक्टर वाले बाबा" का 1 करोड़ रुपये का Modified Tractor! यह कोई साधारण ट्रैक्टर नहीं था, बल्कि मेले का सबसे बड़ा फोकस था। इस ख़ास ट्रैक्टर में एयरोप्लेन जैसे टायर्स लगे हैं और इसी पर बैठकर बाबा ने भारत भ्रमण किया है।
ब्रांड्स के लिए था यह मार्केटिंग का महाकुंभ
महाकुंभ 2025 में सोनालीका, स्वराज, जॉन डियर, आइशर, आदि कंपनियों के ट्रैक्टर्स ने ना सिर्फ अपनी सेवाएँ दी बल्कि सोनालीका, स्वराज जैसी ट्रैक्टर्स कंपनियों ने श्रद्धालुओं के लिए खास स्टॉल्स लगाएं जहां उन्हें ट्रैक्टर्स से संबंधित संपूर्ण जानकारी दी गई।
सिर्फ ट्रैक्टर्स ही नहीं बल्कि दूसरे ब्रांड्स के लिए भी प्रयागराज महाकुंभ बड़ी मार्केटिंग अपॉर्च्युनिटी रहा। कई बड़े ब्रांड जैसे ब्लिंकइट, कोका-कोला आदि ने अपने स्टॉल्स के माध्यम से कुंभ का फायदा उठाते हुए शानदार मार्केटिंग की।
ब्लिंकइट के टेंपररी स्टोर द्वारा ब्लैंकेट, चार्जर, फल-फूल, दूध आदि जरूरत की चीजें मुख्य स्थलों तक पहुंचाई गई। ग्लोबल ब्रांड कोका-कोला ने तो अपना लोगो भी हिंदी में कर दिया, उनके मैदान साफ कैंपेन ने कुंभ मेले में सफाई रखने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया।
देश के सबसे प्रभावशाली अदाणी ग्रुप द्वारा इलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट सेवा के जरिए श्रद्धालुओं को निशुल्क सवारी सुविधा उपलब्ध कराई गई साथ ही निशुल्क भंडारे का भी आयोजन किया गया। रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा भी निशुल्क भंडारे का आयोजन किया गया था।
भले ही प्रयागराज कुंभ मेले का समापन हो चूका है पर ट्रैक्टर्स का यह जज़्बा और पावर हमेशा देश के काम आते रहेगा। चाहे खेती हो या इस प्रकार के भव्य आयोजन ट्रैक्टर हमेशा अपना दमदार परफॉरमेंस देते रहेंगे।
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