अर्थव्यवस्था की बदहाली के इस दौर में कृषि क्षेत्र से फिर एक बार अच्छी खबर है, खरीफ फसलों की इस वर्ष 108.2 हेक्टेयर में बुआई हुई है जो की अभी तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। इसके पहले 2016 में खरीफ सीजन में 107.57 मिलियन हेक्टेयर में बुआई का आंकड़ा सर्वाधिक था, 28 अगस्त तक के इस आंकड़े से खरीफ के मौसम में 149 टॅन उपज का अनुमान लगाया जा रहा है। रबी फसलों की बंपर पैदावार के बाद अब खरीफ में अच्छी उपज की उम्मीद भारत की डगमगाती अर्थव्यवस्था को बल दे रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार खरीफ फसलों के लिए बोए गए क्षेत्र में केवल एक साल में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। खरीफ मौसम के लिए सामान्य रकबा 6.6 मिलियन हेक्टेयर है, इसकी तुलना में इस खरीफ सीजन में अब तक बोया जाने वाला क्षेत्र लगभग दो मिलियन हेक्टेयर अधिक है और आगे इस क्षेत्र के 2.5 से 3.5 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।
अच्छे मानसून का मिला लाभ:-
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने आगे बताया कि मानसून की सामान्य शुरुआत और देश में इसकी तीव्र प्रगति और मानसून के मौसम के दौरान अब तक उचित समय और मात्रा में हुई वर्षा से ही खरीफ मौसम के दौरान बोए गए क्षेत्र में वृद्धि हुई है। इस बीच, अधिकांश प्रमुख फसलों के रकबे में तेज विस्तार और अगस्त में मॉनसून का प्रभावी होना इस सीजन में बंपर फसल का संकेत देते हैं। हालांकि,अब लगातार भारी बारिश ने खरीफ की फसल के लिए थोड़ा खतरा पैदा कर दिया। 19 अगस्त को सप्ताह के अंत में और सप्ताह के अंत में 26 अगस्त को लंबी अवधि के औसत (LPA) से 40 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई थी।
सरकार का अगले वर्ष 298.32 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य:-
28 अगस्त तक खरीफ फसलों के बुआई के आंकड़े आने पर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अपना बयान जारी करते हुए कहा कि चावल की बुवाई लगभग कुछ हिस्सों में अभी भी जारी है, वहीं दलहन, मोटे अनाज, बाजरा और तिलहन की बुआई पूरी हो गई है। मंत्री जी ने आगे कहा कि हमें विश्वास है कि 2020-21 में कुल खाद्यान्नों के उत्पादन में इतनी वृद्धि होगी, जो 298.32 मिलियन टन के लक्ष्य को पार कर जाएगी।

मंत्री जी और सरकार को इस वर्ष और अगले वर्ष अधिक पैदावार का विश्वास हो पर कई इलाकों में इस वर्ष की खरीफ उपज पर नए खतरे है मंडरा रहे है। मध्यप्रदेश में सोयाबीन कि फसल में स्टेम फ्लाई का प्रकोप चिंताजनक है, ऐसे में विशेषज्ञों के बीच अनिश्चितता वापस बढ़ने लगी है। हालाकि ज्यादा बुआई होने और अन्य इलाकों में फसल का स्वास्थ्य अच्छा होने के कारण यह अब तय है कि इस वर्ष खरीफ की पैदावार बढ़ेगी।
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