किसान ने बनवाया बुलेट प्रूफ ट्रैक्टर, AC और CCTV भी लगवाए! कारण जानकर होश उड़ जायेंगे!!
18 Mar, 2021
हेड लाइन पढ़कर आप यहां आ तो गए पर इस खबर को पूरा पढ़ने से पहले बुलेट प्रूफ जैकेट जरूर पहन लीजिएगा!क्या पता आसपास से कहीं गोलियां चलने लग जाए और आप पूरी खबर ना पढ़ पाए। अरे घबराइए मत! हम तो मजाक कर रहे हैं। पर अभी जो आपको बताने जा रहे हैं वह बात सौ टका सही है।
इसके पहले कि हम पूरा मामला समझे, आपको उस ट्रैक्टर के दर्शन तो करा देते हैं जिसने यह रूप धारण किया है।
बुलेट प्रूफ रूप धारण करने वाला वह भाग्यशाली ट्रैक्टर है स्वराज 855 एक्सएम (Swaraj 855 XM)
किसान ने ट्रैक्टर को ना सिर्फ बुलेट प्रूफ बनवाया है बल्कि उसमें एसी और सीसीटीवी की भी व्यवस्था की गई है।
वह किसान कहां से है और उसने ऐसा क्यों किया उसका कारण आप आगे जानेंगे। पहले आप उस ट्रैक्टर की अंदर की फोटो का दर्शन कर लीजिए।
कौन है वह किसान और उसने ऐसा क्यों करवाया?
जी हां यही है वह गले में सफेद गमछा टांगे और पहलवानों जैसा शरीर धारण किए। अब बात पहलवान की आ गई है तो आप समझ ही गए होंगे कि यह भाईसाहब पक्का हरियाणा के ही लगते हैं। और आपका सोचना बिल्कुल सही है। यह भाई साहब हरियाणा के किसान हैं। इनका गांव बिल्कुल यूपी बॉर्डर से सटा है। जहां आए दिन जमीन विवाद को लेकर झगड़ा होता रहता है। और यहां तक की कहीं दफा तो खूनी संघर्ष की स्थिति भी आ जाती है।
लाठी हो,डंडा हो,या हो गोली!इस ट्रैक्टर के आगे सबकी तूती बोली!
इस ट्रैक्टर पर ना तो बंदूक की गोलियों का कोई असर होगा और ना ही लाठी-डंडों का। अगर आसपास घमासान भी मचा हो, तो भी यह मियां उस सबके बीच आपको आराम से मुस्कुराते हुए खड़े मिलेंगे। तब स्वराज वाले मन में बुध-बुधाएंगे-
देखिए देखिए जोश का राज, हमारा स्वराज!
50 साल से भी ज्यादा पुराना है यह विवाद। कई लोग गवा चुके हैं जान!
यमुना खादर से सटे हरियाणा और यूपी के गांवों में करीब पांच दशक से जमीन के लिए विवाद चला आ रहा है। सोनीपत के जाजल व खुर्मपुर और बागपत के निवाड़ा व नंगला बहलोलपुर के किसान कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। चारों गांवों में करीब 450 एकड़ जमीन के लिए हर साल खूनी संघर्ष होता है।
1974 में इसी बात को मिटाने के लिए की गई थी यह कोशिश।
वर्ष 1974 में केंद्र सरकार ने विवाद खत्म करने को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा शंकर दीक्षित की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। उस समय तय हुआ था कि यूपी के किसानों की जमीन हरियाणा की ओर है तो उस पर हरियाणा के किसान काबिज होंगे और हरियाणा के किसानों की जमीन यूपी की ओर है तो उस पर यूपी के किसान काबिज होंगे। इसके लिए लोहे के पिलर लगवा दिए गए थे और उसे दीक्षित अवॉर्ड का नाम दिया गया, लेकिन हर बार यमुना की धार बदलती रही और जमीनों पर कब्जा नहीं दिलवाए जाने के कारण यह विवाद बढ़ता चला गया।
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