इस ट्रैक्टर कंपनी ने दिया भारतीय किसानों को देश में बना पहला ट्रैक्टर!
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इसमें कोई दो राय नहीं है की एक किसान का सच्चा साथी एक ट्रैक्टर ही है। जो खेतो की जुताई से लेकर फसल को मंडियों तक पहुँचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर एक समय था जब भारत के अधिकतर किसानो के पास ट्रैक्टर नहीं थे क्योंकि भारत में कोई भी ऐसी कंपनी नहीं थी जो भारतीय किसानो की ज़रूरतों के अनुसार ट्रैक्टर बनाती हो और जो थोड़े बहुत ट्रैक्टर मिलते थे वो भी आयात हो कर आते थे। जहाँ अमेरिका में 18वीं सदी से ही ट्रैक्टर बनने शुरू हो गए थे, भारत 19वीं सदी के आखिरी पड़ाव तक भी खुद का ट्रैक्टर नहीं बना पाया था।
ऐसे में भारत की एक कंपनी ने भारत का पहला ट्रैक्टर देने की ठान ली। अपने गठन के 50 सालो के बाद आज यह ट्रैक्टर निर्माता कंपनी 15-60 एचपी क्षमता वाले बहुत सारे ट्रैक्टर बनाती है और सालाना एक लाख से भी अधिक ट्रैक्टर बेच कर यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है। क्या आपको पता है की हम किस कंपनी की बात कर रहें है?
स्वराज ट्रैक्टर्स ने दिया भारत का पहला स्वदेशी ट्रैक्टर (Swaraj Tractors gave India's first indigenous tractor)
चलिए पहले स्वराज ट्रैक्टर के इतिहास से जुडी कुछ बाते जानते है| (Swaraj Tractor history in India)
अपने नाम को सार्थक करते हुआ, स्वराज ट्रैक्टर्स ही वो कंपनी है जिसने भारत को अपनी ही धरती पर बनाने वाला पहला ट्रैक्टर दिया था। आज से 50 पहले स्वराज ट्रैक्टर्स पंजाब ट्रैक्टर्स (Punjab Tractors) के नाम से जानती जाती थी।
यही वो कंपनी थी जिसने महात्मा गाँधी जी के आत्मनिर्भरता की अवधारणा को एक नया आयाम दिया देश को पहला ट्रैक्टर देकर। पंजाब ट्रैक्टर्स की नींव 1960 के दशक में सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) में एक डिज़ाइन प्रोजेक्ट के रूप में रखी गयी थी।
उस समय भारत के प्रधान मंत्री, पं. जवाहरलाल नेहरू थे। उन्होंने, मनमोहन सूरी को, जो भारत के एक जानेमाने मैकेनिकल इंजीनियर थे, सीएमईआरआई के निदेशक के रूप में साल 1964 में शामिल किया। फिर इनके न्यौते पर चंद्र मोहन ने भारतीय रेलवे छोड़ दिया और सीएमईआरआई में शामिल हो गए।
अगस्त 1965 में, मन मोहन सूरी एक तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रतिनिधिमंडल के साथ मास्को गए। वहाँ पर उन्होंने मास्को की टीम से छोटे किसानों के लिए 20 HP ट्रैक्टर बनाने से जुडी बारीकियों को समझा और 12000 ट्रैक्टर प्रति वर्ष की दर से भारत में ख़ुद के ट्रैक्टर बनाने के विचार से लौटे। और साल 1971 में मोहाली में पहला ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया गया।
साल 1974 को भारत का पहला स्वराज ट्रैक्टर, स्वराज 724, लॉन्च किया गया। यह एक मजबूत और क्राँतिकारी 26.5 HP ट्रैक्टर था। अपने मजबूत डिजाइन और शक्तिशाली इंजन की वजह से इस ट्रैक्टर ने कुछ ही दिनों में देशभर के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की। साल 1983 में पंजाब ट्रेक्टर्स (Punjab Tractors) ने 50 HP वाला ट्रैक्टर, स्वराज 855, को भारतीय किसानों को सौंपा।
इसके बाद कंपनी ने तरक्की की हर ऊंचाई को छुआ। जैसे की :
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साल 1986 में डीजल इंजन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना की
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साल 1999 में स्वराज 744 को लॉन्च किया
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साल 2002 में 5,00,000 ट्रैक्टर बिक्री की
पंजाब ट्रैक्टर्स से स्वराज ट्रैक्टर्स तक का सफर (Journey from Punjab Tractors to Swaraj Tractors)
19 वीं सदी का पंजाब ट्रैक्टर्स आज स्वराज ट्रैक्टर्स के नाम से जाना जाता है और यह महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के आधीन आता है। साल 2007 में महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड उस समय के पंजाब ट्रैक्टर्स के अधिकरण कर लिया था। अधिकरण के बाद साल 2009 में पंजाब ट्रैक्टर्स स्वराज ट्रैक्टर्स बन गया।
आज का स्वराज ट्रैक्टर्स
आज स्वराज ट्रैक्टर किसानों के बीच एक भरोसेमंद नाम बना हुआ है। इसकी एक मुख्य वजह है की जैसे-जैसे स्वराज ट्रैक्टरों की मांग बढ़ी, वैसे-वैसे कंपनी की उत्पाद श्रृंखला भी बढ़ी। बागों और अंगूर के बागों के लिए कॉम्पैक्ट ट्रैक्टरों से लेकर बड़े खेतों के लिए उच्च-शक्ति वाले ट्रैक्टरों तक, स्वराज के पास हर किसान के लिए एक ट्रैक्टर था।
यही वजह है की साल 2009 तक 7,00,000 ट्रैक्टर बेचने का रिकॉर्ड यह कंपनी बना चुकी थी। साल 2018 तक स्वराज 15,00,000 ट्रैक्टर बेच चुकी थी।
अपने डीलरशिप और सेवा केंद्रों के विस्तृत नेटवर्क से यह कंपनी यह सुनिश्चित करती हैं कि भारत भर के किसानों को उनकी पसंद का ट्रैक्टर आसानी से मिल सके।
स्वराज ट्रैक्टर्स सिर्फ विश्वसनीय मशीनें बनाने तक नहीं रुके उन्होंने आधुनिक तकनीकी को भी अपनाया। उन्होंने खेती के कार्यों को आसान और अधिक कुशल बनाने के लिए पावर स्टीयरिंग, उन्नत हाइड्रोलिक्स और एर्गोनोमिक डिज़ाइन जैसी सुविधाओं को शामिल किया।
साल 1964 से अब तक की स्वराज ट्रैक्टर्स की यात्रा भारतीय कृषि के प्रति इस कंपनी की समर्पण की भावना को दर्शाती है। अगर इस कंपनी ने उस समय देश का पहला ट्रैक्टर बनाने का वो पहला कदम ना लिया होता तो शायद भारतीय कृषि आज इतना उन्नत नहीं होता।
आज महिंद्रा समूह की सहायक कंपनी के रूप में, स्वराज ट्रैक्टर्स भारतीय कृषि के विकास जारी रख रही है और देश के किसानों को उन्नत बना रही है।
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