न्यूनतम समर्थन मूल्य पर शुरू हुई गेंहू की खरीद, किसानों के खाते तक पहुंचे 2741 करोड़ रुपए
मौसम के अनुसार रबी की फसल (Winter Crop) की खरीद शुरू हो चुकी है. हर राज्य में किसान अपनी रबी की फसल को बेचने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. ऐसे में हरियाणा राज्य में भी किसान रबी की फसल के मौसम में गेंहू की फसल को बेचना शुरू कर दिए है. बता दें हरियाणा राज्य गेंहू के उत्पादन में शीर्ष स्थान रखता है. आवक के साथ-साथ फसल की भी जबरदस्त खरीद हुई.
ताजों आंकड़ों की बात करें तो हरियाणा में हर रोज लगभग दो लाख मीट्रिक टन की खरीद हो रही है. वहीं अभी तक 32.91 लाख मीट्रिक टन गेंहू न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) भी खरीद लिया गया है. जिससे की किसानों को अब तक 2741.34 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चूका है. वहीं बेचे गए गेंहू का मूल्य 5594.64 करोड़ रुपए है.
साथ ही बता दें कि इस बार सरकार ने 85 लाख मीट्रिक टन गेंहू के खरीद का लक्ष्य रखा है. हरियाणा राज्य की करीब 400 मंडियों में गेंहू की खरीद की जा रही हैं. रिपोर्ट की माने तो 1 अप्रैल 2022 से ही गेंहू की खरीद शुरू की जा चुकी थी.
वहीं खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता के प्रवक्ता ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया है कि अभी तक 32.91 लाख मीट्रिक टन गेंहू पहुंचा है जिसमें से 18.50 लाख मीट्रिक टन का उठान मंडियों से किया जा चूका है. बता दें कुछ समय हरियाणा कान्फैड के पूर्व चेयरमेन ने उठान में देरी का आरोप लगाया था जिसके बाद से इस काम में तेजी पकड़ी है.
वहीं भुगतान के लिए दिए जाने वाली रकम का सूचना मैसेज द्वारा भी किसानों तक पहुंचाई जा रही है. वहीं किसी किसान द्वारा अलग बैंक खाता संख्या या किसी भी प्रकार की त्रुटि की जा रही है तो उसकी भी सूचना मैसेज द्वारा किसान के मोबाइल तक पहुंचाई जा रही है. किसान ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पर रजिस्ट्रेशन कर और सही बैंक डिटेल देकर अपनी रकम पा सकते हैं. वहीं बता दें हरियाणा में गेंहू और सरसों की फसल न्यूनतम समर्थन (Minimum Support Price) मूल्य से अधिक दामों पर बिक्री हो रही है. बता दें न्यूनतम समर्थन मूल्य से 50-60 रुपए प्रति क्विंटल पर बिक्री हो रही है वहीं निजी मिल वाले किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल का भाव बढ़ाकर किसानों को गेंहू का दाम दे रहे है.
वहीं रूस और युक्रेन के युद्ध से भी खाद्यान्न में समस्या आ रही है. रूस और युक्रेन भी गेंहू के बहुत बड़े उत्पादक देश हैं. अब इनके बीच युद्ध होने से गेंहू की समस्या आ रही है. ये दोनों देश भी कईं देशों को गेंहू निर्यात करते थे. लेकिन कईं देशों ने इनसे व्यावसायिक सम्बन्ध हटा लिए है इससे दूसरे देश भी गेंहू के लिए भारत पर निर्भर हो गए है. भारत अब कईं और देशों को भी अपने देश के गेंहू निर्यात करेगा जिससे की भारत के किसानों को काफी मुनाफा मिलने वाला है.
रिपोर्ट्स की माने तो भारत से गेंहू के आयात के लिए भी एक और देश ने अनुमति दे दी है. जिससे अब मिस्त्र देश में भी भारत का गेंहू पहुंचेगा जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा. मिस्त्र की शासकीय उपार्जन संस्था द्वारा भारत के गेंहू के आयात को मान्यता प्रदान कर दी गई है. एमपी के खाद्य मंत्री ने बताया की वह पिछले एक साल तक मध्यप्रदेश से गेंहू निर्यात की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने बताया कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण गेंहू की बम्पर पैदावार के बाद कई देशों में गेंहू का निर्यात किया गया जिससे विदेशी राजस्व की भी प्राप्ति हुई है.
केंद्र सरकार की ओर से हर रबी और खरीफ सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाते हैं. केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही सभी राज्यों में फसलों की खरीद की जाती हैं. वर्ष 2022-23 रबी सीजन के लिए गेंहू, चना, सरसों, जौ और मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है :-
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गेंहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल
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चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपए प्रति क्विंटल
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सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल
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जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1635 रुपए प्रति क्विंटल
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मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5500 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है.
उधर हरियाणा के श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री अनूप धानक ने हिसार अनाज मंडी में गेंहू खरीद कार्य का निरीक्षण किया. अधिकारियों और खरीद व्यापारियों से विस्तार से खरीद की गई फसल के बारे में जानकारी ली. धानक ने बताया की हरियाणा की सभी मंडियों में खरीद का काम सुचारू रूप से चल रहा है. वहीं उन्होंने आगे कहा कि खरीद का काम न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से ही किया जा रहा है. गेंहू की खरीद का काम खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग, हैफेड, भारतीय खाद्य निगम एवं हरियाणा वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन (Haryana Warehousing Corporation) द्वारा की जा रही है.
धानक ने सभी खरीद केन्द्रों और मंडियों में किसानों की सुविधाओं के लिए पानी, बिजली, साफ़-सफाई, बारदाना और तिरपाल की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं.
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