मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत हिमाचल प्रदेश के किसानों को बाड़ेबंदी के लिए मिलेगी 85 प्रतिशत सब्सिडी
किसानों को खेती के साथ-साथ अपनी फसल की सुरक्षा की भी चिंता रहती है. फसल की बुआई से लेकर कटाई तक में उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी किसान पर रहती है. ऐसे में आवारा जानवरों, प्राकृतिक आपदा और मवेशियों से बचाने का जिम्मा भी किसान का रहता है. जिससे की किसान की फसल का नुकसान होने से बच सके. ऐसे में किसान का 24 घंटे खेत और फसल की निगरानी करना असम्भव है तो किसान भी खेती की बाड़ेबंदी करके या तार से चारो तरफ खेत की फेंसिंग कराकर उसकी सुरक्षा का पुख्ता इन्तेजाम करता है।
ऐसे में हिमाचल राज्य की सरकार ने किसानो को राहत प्रदान करते हुए बाड़ेबंदी के लिए नई तकनीक लाने का प्रयास किया है. इसके माध्यम से किसान अपने खेतो की सुरक्षा कर सकते हैं. इसी तरह कृषि के क्षेत्र में भी पशुओं से फसल की सुरक्षा के लिए सोलर बाड़ेबंदी सिस्टम अपनाया जा रहा है. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. हिमाचल प्रदेश में किसान इस तकनीक का लाभी उठा रहे हैं. इसके लिए हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत 85 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
प्रदेश की सरकार ने मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना (Mukhyamantri Khet Sanrakshan Yojna) के तहत किसानों की इस समस्या का बहुत हद तक निदान कर दिया है. दरअसल इस योजना के तहत राज्य में किसानों को सरकार के खेतों की सुरक्षा के लिए सोलर बाड़ेबंदी प्रदान करवाती है. इस बाड़ेबंदी से जंगली जानवर खेतों में नहीं आ पाते है और फसलों के उजड़ने की समस्या भी नहीं रहती है. इस सोलर बाड़ के सम्पर्क में आते ही जानवरों को करंट लगता है और वो खेतों से दूर भागते हैं. करंट का स्तर इतना कम है कि उससे किसी जानवर की मृत्यु का खतरा नहीं रहता है और ना ही व अपंग हो सकते हैं. बस इसके सम्पर्क में आने से जोर का झटका लगता है और जनवर खेतों से दूर हो जाते है।
फिर भी यदि इस बाड़े को पार कर करंट को सहते हुए कोई जानवर खेतों में आ भी जाता है तो सोलर मशीन जोर का अलार्म बजाती है जिसकी आवाज़ सुन जानवर भागने लग जाते हैं और किसान सचेत हो जाता है. आज राज्य में बड़ी तादाद में किसान सुअरों, बंदरों, नीलगायों और एनी जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए स्लर बाड़ का उपयोग कर रहे हैं. कृषि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत उन्हें इसके लिए अनुदान भी मिल रहा है।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को 80 से 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है. मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना किसानों और बागवानों दोनों के लिए फायदेमंद है. मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के लिए किसानन को 20 प्रतिशत तक राशि खर्च करनी पड़ेगी. वहीं यदि कोई किसान अकेले इस योजना का लाभ उठाने में असमर्थ है तो किसान सामुहित तौर पर भी इस योजना का लाभ उठा सकते है और समूह में इस योजना के तहत किसानों को सिर्फ 15 प्रतिशत राशि ही देनी होगी।
बता दें की ग्राम पंचायत घंडीर के गांव दघोग के किसानो ने अपनी फसलों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ सामूहिक तौर लेने का निर्णय लिया. दघोग गांव के 18 परिवारों ने मिलकर अपनी जमीन की समूहित सौलर बाड़ेबंदी करवाई और योजना का लाभ प्राप्त किया जिसमें 85 प्रतिशत अनुदान सरकार की ओर से दिया गया।
दघोग गांड का 178 बीघा 6 बिस्वा क्षेत्र कवर किया गया है. इस सौलर बाड़ेबंदी पर 16 लाख 63 हजार पांच सौ तीस रुपए खर्च किए गए है जिसमें चौदह लाख चौदह हजार रुपए सरकार की ओर से अनुदान दिया गया और 2 लाख 49 हजार पांच सौ तीन रुपए का किसानों का शेयर शामिल है. इसके तहत खेतों के चारों ओर 1797 मीटर सोलर स्वचालित बाड़ लगाई है जिसके लिए सोलर से चार्ज तीन बैटरियों लगाई गई है ताकि बाड़ रात को भी काम कर सके।
जिलाधीश ऋग्वेद ठाकुर का कहता है कि मंदी जिले में सौर उर्जा आधारित बाड़ के अच्छे परिणामों को देखकर किसान-बागवान सोलर फेंसिंग लगवाने के लिए आगे आ रहे हैं. अब तक जिले में योजना के तहत किसानों को 5.66 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा चुकी है. कृषि विभाग की मदद से प्रयास किए जा रहे हैं कि अधिक से अधिक लोगों तक योजना की जानकारी पहुंचे और वे इससे लाभान्वित हों।
सोलर बाड़ेबंदी के लिए किसानों को कृषि विभाग में जाकर आवेदन करना होगा. इसके बाद विभाग से सूचीबद्ध कम्पनी ने अधिकारी किसानों के जमीन का आंकलन करते हाँ. आंकलन के बाद आवेदन की सत्यता होने पर सब्सिडी दी जाती है।
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