सरकार ने कृषि यंत्रों पर 50% तक की सब्सिडी का ऐलान कर किसानों के लिए एक बड़ी राहत दी है। यह योजना किसानों को आधुनिक तकनीक से लैस कृषि यंत्र खरीदने और उनके कृषि उत्पादन में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहित करती
सरकार 1000 कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने पर सब्सिडी दे रही है। जो किसान कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने में इच्छुक हैं वो इस सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते है। ऐसी और सब्सिडी के बारें में सबसे पहले जानने के लिए ट्रैक्टरज्ञान के
अगर आप सरसों, चना, मसूर की खेती करने वाले किसान हैं तो आपके पास अपनी मेहनत का सही मूल्य पाने का एक सुनहरा मौका हैं क्योंकि इन फसलों को उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिलाने के लिए राज्य सरकार ने पंजीकरण शुरू
ई -कृषि अनुदान भारतीय किसानों को सही सहायता पहुँचाने का हर भरसक प्रयास करती हैं। यह विभाग कृषि उत्पादन, कृषि तकनीक, किसानों की शिक्षा और प्रशिक्षण, कृषि बजट आवंटन, जलवायु और मौसम सम्बन्धित जानकारी प्रदान करता है और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं
ई -कृषि अनुदान सेवा सरकार द्वारा चलाए जाने वाले किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की एक मुख्य सेवा है। यह विभाग कृषि उत्पादन, कृषि तकनीक, किसानों की शिक्षा और प्रशिक्षण, कृषि बजट आवंटन, जलवायु और मौसम संबन्धित जानकारी प्रदान करता है
देश में खेती-किसानी के कार्यों में आधुनिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन आज भी बहुत से ऐसे किसान भी है जो पुराने तरीकों से ही खेती कर रहे हैं जिसकी बड़ी वजह है किसानों का आर्थिक रूप
किसानों के लिए सरकार हर समय नई योजनाएं लेकर आती है. जिसमें सरकार किसान के लिए योजना लाकर उन्हें मुनाफा देने का प्रयास करती रहती है. ऐसे ही मध्यम वर्गीय किसानों और निम्न स्तर के किसानों के लिए सरकार ने जीरो ब्याज
किसानों के हित में सरकार एक अच्छी योजना लेकर आई है, जिसके तहत चुने हुए इंप्लीमेंट की खरीद पर 30 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाएगी। गवर्नमेंट की इस योजना के लिए आवेदन 16 जून से लिए जाएंगे, आवेदन की
नमस्कार किसान भाइयों! ट्रैक्टरज्ञान में एक बार फिर से आपका स्वागत है। "सारे हंसी वायदे है बस कागजों पर, कोई जमीं पर उतरे तो बताना। अफवाहों से भरा पड़ा है गूगल- ए - आजम, कोई ' ट्रैक्टर ' सा चले तो बताना!"
कोरोना ने देश में एक भयावह रूप ले लिया है। इससे निपटने के लिये राज्य सरकारें हर सम्भव कोशिश कर रही हैं। मार्च महीने से चल रही कोरोना की जंग से निपटने में सरकार का ख़ज़ाना अब ख़ाली होने लगा है। यही
पीएम फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) 2022 भारत किसानों का देश है जहां ग्रामीण आबादी का अधिकतम अनुपात कृषि पर आश्रित है। माननीय प्रधानमंत्री ने 13 जनवरी 2016 को एक नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का अनावरण
दुनिया के लिए भले ही यह नई तकनीक हो, लेकिन देश में परंपरागत रूप से जैविक खाद पर आधारित खेती होती आई है। जैविक खाद का इस्तेमाल करना देश में परंपरागत रूप से होता रहा है। भारत में जैविक खेती की परंपरा
सरकार देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुपालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार की और से पशुपालक किसान जो डेयरी खोलना चाहते हैं उनके लिए एक ख़ास योजना चला रखी है। इस योजना का
खेती में आधुनिक कृषि यंत्रों (Farming Equipment) की महत्ता बढ़ती ही जा रही है। उत्पादन बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से खेती में आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि यंत्रों की श्रृंखला में ड्रोन को
केंद्र सरकार किसानों के लिए हर बार नई-नई योजनाएं लेकर आती है. जिससे किसानों को काफी फायदा पहुंचता है. वहीं पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojna) के तहत भी केंद्र सरकार ने किसानों को काफी राहत पहुंचाई है.
किसानों को खेती के लिए उर्वरक और खाद की जरूरत होती है. जिसके लिए किसानों को मोटी रकम चुकानी होती है. भारत में खाद और उर्वरकों के दाम बढ़ गए है. किसानों पर आर्थिक बोझ ना पड़े और खरीफ के सीजन में
बढ़ते डीजल पेट्रोल के दाम की वजह से किसानों के फसल उत्पादन के दाम में भी वृद्धि हुई है. सिंचाई के लिए पम्प में डीजल और पेट्रोल भरने के लिए पड़ने वाली लागत अधिक होती है जिससे किसान को भारी मात्रा में
देश में आधी फीसदी से भी ज्यादा लोग कृषि पर निर्भर करते हैं. ऐसे में देश की कृषि व्यवस्था को उन्नत करने के लिए सरकार हर बार नई योजनाएं किसानों के लिए लाती रहती है. कृषि में उपयोगी वस्तुओं के लिए सरकार
देशभर में कृषि को उन्नत बनाने के लिए कृषि उपकरणों (Farm Equipment) का उपयोग किसानों के लिए बेहद जरुरी है. कृषि में उन्नत किस्मों की फसलों की पैदावार के लिए और ज्यादा लाभदायक खेती के लिए कृषि में जरूरत मशीनों की आवश्यकता
कृषि की लागत कम करने की तरफ सरकार ने अहम कदम बढ़ाया है। डीएपी खाद की बड़ी हुइ खुदरा कीमतों का प्रभाव किसानों पर ना पड़े इसके लिए सरकार ने भी सब्सिडी में भारी वृद्धि की है। जिसके बाद खाद की पुरानी