24 Nov, 2023
गिरता जमीनी जल स्तर आज किसानो के लिए एक सरदर्द बन चूका है। इसकी वजह से बहुत से किसानो को फसलों की सिंचाई के लिए सही मात्रा में पानी नहीं मिल पाता है। और बिना पानी के एक अच्छी फ़सल की उम्मीद करना बेकार है।
पर आप क्या सोचेंगे अगर हम आपको कहें की एक ऐसा भी सिंचाई का तरीका हैं जिसके चलते आप कम पानी का उपयोग करके भी खेतों में लहराती फसल को देख सकते हैं।
इसके साथ-साथ, भारत सरकार इस सिंचाई की तकनीक को अपनाने के लिए आपको सब्सिडी भी देगी। यह तो एक तीर से दो निशाने करने की बात हुई ना। और आप भी ऐसा कर सकते हैं अगर आप स्प्रिंकलर सिचाईं या बौछारी सिंचाई को अपनाते हैं।
इस पोस्ट में हम आपको स्प्रिंकलर सिंचाई से जुड़ी बहुत सारी बातें बताने जा रहें हैं जैसे की स्प्रिंकलर सिंचाई क्या है? स्प्रिंकलर सिंचाई के क्या फायदे हैं? स्प्रिंकलर सिंचाई से बचाए लाखो, स्प्रिंकलर सिंचाई को आप कैसे अपना सकते हैं? और स्प्रिंकलर सिंचाई पर सब्सिडी कितनी मिलती है? तो चलिए स्प्रिंकलर सिंचाई के बारे में और जानते हैं।
स्प्रिंकलर सिंचाई क्या है ?
स्प्रिंकलर सिंचाई जिसको बौछारी सिंचाई के नाम से भी जाना जाता है सिंचाई करने का एक अच्छा तरीका है। इसमें कम पानी के इस्तेमाल से भी किसान एक बड़ी जमीन पर खड़ी फसल की सिंचाई कर सकते हैं। इस सिंचाई तकनीक में किसान पाइप और छोटे पानी के स्प्रेयर का उपयोग करके हल्की बौछार के रूप में फसलों पर पानी का छिड़काव करता है।
पानी को सीधे जमीन पर डालने के बजाय इसे बारिश की तरह फसलों पर छिड़का जाता है। इससे कम पानी का उपयोग करके भी किसान सारे खेत में अच्छे से पानी का छिड़काव कर सकता है।
स्प्रिंकलर सिंचाई कैसे काम करती है?
स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए पानी के पंप और कईं तरह की नालियों को इस्तेमाल में लाया जाता हैं। सबसे पहले, ट्यूबवेल/टंकी या तालाब का पानी पाइपों के मदद से खेतों तक लाया जाता हैं। खेतो तक पहुचें पाइपों में ऊपर की तरफ एक नोजल फिट कर दी जाती है। इस नोजल में छेद होते हैं और इनसे पानी फसल के ऊपर बारिश या फुहार की तरह गिरता है।
स्प्रिंकलर सिंचाई के प्रकार
पानी के प्रेशर के आधार पर और उपयोग में आने वाले स्प्रिंकलर के आधार पर निम्न प्रकार के स्प्रिंकलर पाए जाते हैं।
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स्थिर या फिक्स्ड स्प्रिंकलर: स्थिर या फिक्स्ड स्प्रिंकलर सिस्टम एक ही जगह पर रहते हैं और इनको छोटे बगीचों या लॉन के लिए उपयोग में लाया जाता हैं।
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रोटरी या इम्पैक्ट स्प्रिंकलर: रोटरी या इम्पैक्ट स्प्रिंकलर घूमने वाली भुजाएँ होती हैं जो एक गोलाकार पैटर्न में पानी को छोड़ती हैं। इनमे बड़े क्षेत्रों को कवर करने की क्षमता होती है।
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मिनी स्प्रिंकलर: इस तरह के स्प्रिंकलर में छोटी पानी की लाइन्स का इस्तेमाल किया जाता है जो छोटे सिंचाई स्प्रे, सर्कुलर या ड्रिप सिंचाई प्रणालियों को पौधे के करीब तक ले जाने का काम करती है। इसमें पानी का प्रवाह बहुत कम होता है जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों और उर्वरकों को बहने से रोका जा सकता है।
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गन स्प्रिंकलर: गन स्प्रिंकलर में पानी बहुत तेजी से निकलता हैं। यह मजबूत ताने वाली फ़सल जैसे गन्ने के लिए उपयुक्त है।
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टर्फ रोटर: टर्फ रोटर बड़े लॉन वाले क्षेत्रों में पानी देने के लिए बहुत अच्छे होते हैं। इसमें एक रोटार होता है जो जमीन से बाहर निकलकर 360 डिग्री तक घूम सकता हैं। यह लम्बी दूरी तक पानी का छिड़काव कर सकता है।
भारत में स्प्रिंकलर सिंचाई से जुडी योजना और मिलने वाली सब्सिडी
भारत सरकार किसानो को स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाने के लिए हमेशा से ही प्रोत्साहित करती आ रही है। उनको इस सिंचाई को अपनाने पर सरकार किसानों को कई तरह की योजनाए और सब्सिडी भी देती है।
इसी दिशा में काम करते हुए भारत सरकार ने प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को लागु किया। इस योजना का मकसद हैं 'हर खेत को पानी' और 'प्रति बूंद अधिक फसल'।
इस योजना के चलते हर किसान तक सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली) पहुंचाने का लक्ष्य है। भारत सरकार ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये का कोष भी बनाया है।
केंद्र सरकार सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को 55% और अन्य किसानो को 45% सब्सिडी प्रदान करेगी। इस सब्सिडी के चलते किसान स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली से जुड़े सभी उपकरणों को खरीदते समय सब्सिडी की मदद से अच्छी बचत कर सकते है।
सब्सिडी के साथ-साथ, इस योजना के तहत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के लिए तीन साल की मुफ्त सेवा मिलेगी।
स्प्रिंकलर सिंचाई के फायदे
अगर एक किसान पौधों, फसलों या बगीचों को पानी देने के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करता हैं तो इसके कईं फायदे होते है।
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सिंचाई का यह तरीका यह सुनिश्चित करता है कि खेत के हर हिस्से को लगातार सही मात्रा में पानी मिले। इससे फसल का अच्छा विकास होता है।
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स्प्रिंकलर पानी की बर्बादी किये बिना पानी को सीधे पौधों तक पहुँचता है। इससे किसान पानी की बचत कर सकता है।
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स्प्रिंकलर सिंचाई को विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
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क्योंकि स्प्रिंकलर सिस्टम अपने आप काम करता है। किसान समय की बचत कर सकतें हैं और एक बड़े क्षेत्र को आसानी से कवर कर सकते है।
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स्प्रिंकलर की मदद से किये जाने वाले पानी का हल्का छिड़काव ढलानों या ढीली मिट्टी वाले क्षेत्रों में मिट्टी के नुकसान को रोकने का काम करता है।
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किसान इसका उपयोग किसी भी प्रकार के खेतों और क्षेत्रों में कर सकते है।
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इसको उपयोग में लाना काफी किफायती होता हैं। इसको लगाने के लिए एक बहुत बड़ी लागत की ज़रूरत नहीं है।
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स्प्रिंकलर सिंचाई की मदद से पानी सीधे मिट्टी में ही पहुंचाया जाता है। इससे पौधों की पत्तियों का गीलापन कम हो जाता है। इससे लंबे समय तक पत्तियों के गीले रहने से होने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
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सिचाईं के इस तरीके से हवा में मौजूद नाइट्रोजन पानी की छींटों के साथ फसलों से होता हुआ जमींन तक पहुँच जाता है। इससे किसान फसलों और खेती की जमीन में नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर सकता है।
स्प्रिंकलर सिंचाई से आप बचा सकते हैं अपने लाखों रुपये
हमने अभी आपको स्प्रिंकलर सिंचाई के जो फ़ायदे बताएँ हैं उनके अलावा आप खेती में होने वाले खर्चे को भी कम कर सकते हैं। अगर आप स्प्रिंकलर सिंचाई का सही तरीके से इस्तेमाल कर पाते हैं तो आप लाखों तक की बचत कर सकते हैं। जानना चाहते हैं कैसे? तो चलिए हम बतातें हैं।
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जब आपको 55% तक की सब्सिडी मिल जाती हैं तो आप स्प्रिंकलर सिंचाई के उपकरणो को खरीदने में काफी बचत कर सकते हैं।
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जैसा कि हमने आपको बताया स्प्रिंकलर सिंचाई से हवा में मौजूद नाइट्रोजन भी पानी के साथ मिल कर फसल और जमीन तक पहुँच जाती है। तो किसानो को नाइट्रोजन उर्वरक पर कम खर्चा करना पड़ेगा।
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स्प्रिंकलर सिंचाई से पानी की भी बचत होती है। वैसे तो पानी बहुमूल्य हैं पर आप स्प्रिंकलर सिंचाई को
स्प्रिंकलर सिंचाई के नुकसान
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स्प्रिंकलर सिस्टम को तेज़ हवा वाले इलाकों में नहीं इस्तेमाल किया जा सकता क्योंकि हवा के तेज़ बहाव से पानी का छिड़काव ठीक से नहीं हो पता है।
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स्थापना में उपकरण, पाइप, पंप और अन्य घटकों की खरीद सहित महत्वपूर्ण अग्रिम लागत शामिल होती है। यह प्रारंभिक निवेश छोटे पैमाने के किसानों के लिए बाधा बन सकता है।
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वो स्प्रिंकलर सिस्टम जो विद्युत पंपों की मदद से चलते हैं उनका इस्तेमाल करना थोड़ा खर्चीला होता है।
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स्प्रिंकलर सिस्टम को समय-समय पर रखरखाव की ज़रूरत होती है। किसानो को यह देखना होगा की नोजल बंद न हो जाये या फिर पाइप खराब या टूट ना जाये। अगर हवा का बहाव, पानी का दवाव, और खेत असमान हो तो पानी भरने का खतरा रहता है।
स्प्रिंकलर सिंचाई का इंस्टालेशन कैसे करे ?
अगर आप स्प्रिंकलर सिंचाई के फायदे जानने के बाद इसको अपनाना चाहते हैं तो आपको हम बताना चाहेंगे की इसका इंस्टालेशन बहुत ही आसान है। आपको ज्यादा लागत और चीज़ो की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए किसानो को कुछ मूल चीज़ो की ज़रूरत होती है। जैसे, स्प्रिंकलर हेड, पीवीसी पाइप, पीवीसी फिटिंग (कोहनी, टीज़, कपलिंग), पीवीसी गोंद, टैफलॉन टेप, पाइप रिंच आदि।
इन सभी चीज़ों को इकट्टा करने के बाद किसानो को अपनी फसल के अनुसार स्प्रिंकलर हेड का चुनाव करना चाहिए।
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अपने खेत के कुल क्षेत्र के हिसाब से किसानो को यह सुनिश्चित करना होगा की कितने स्प्रिंकलर हेड की ज़रूरत है और प्रत्येक स्प्रिंकलर हेड को कहाँ रखा जाएगा।
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खाइयों के किनारे मेनलाइन पीवीसी पाइप बिछाएँ। ध्यान रहें कि हमेशा पाइपों का ढलान पानी की सप्लाई से थोड़ा दूर ही रखें।
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पीवीसी फिटिंग का उपयोग करके नियंत्रण वाल्व को मेनलाइन से कनेक्ट करें।
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स्प्रिंकलर हेड्स को राइजर से जोड़ें।
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मेनलाइन को पानी की सप्लाई से जोड़े।
स्प्रिंकलर सिंचाई में काम आने वाले नोजल के प्रकार
स्प्रिंकलर सिंचाई में स्प्रिंकलर का नोजल एक महत्वपूर्ण अंग है। जिस तरह की नोजल होती हैं उससे स्प्रे का पैटर्न और पानी का छिड़काव निर्भर होता है। क्योंकि एक तरह की नोजल कभी भी हर तरह के किसानो की जरूरतें नहीं पूरा कर सकती है। इससे लिए कईं तरह की नोजल का उपयोग किया जाता है।
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फिक्स्ड स्प्रे नोजल: इस नोजल में एक निश्चित तरह का स्प्रे पैटर्न होता है। इस तरह का नोजल समान आकार वाले क्षेत्रों के लिए एक दम ठीक हैं।
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फिक्स्ड आर्क नोजल: इन तरह के नोजल में एक निश्चित आर्क होता है, जो आमतौर पर 360 डिग्री से कम होता है।
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रोटरी स्ट्रीम नोजल: इस नोजल में एक साथ पानी की कई धाराएँ बनती हैं। इस तरह पानी को अच्छे से छिड़का जाता सकता है। यह बड़े क्षेत्रों के लिए एक दम सही है।
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फिक्स्ड स्प्रे पॉप-अप नोजल: यह नोजल एक पॉप-अप स्प्रे हेड्स से जुड़े होते हैं। इनमे एक ही स्प्रे पैटर्न होता है।
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मिस्टिंग नोजल: मिस्टिंग नोजल में से पानी की महीन बूंदें निकलती हैं, जिससे धुंध जैसा स्प्रे बनता है। इनका उपयोग अक्सर ग्रीनहाउस या नर्सरी सेटिंग्स में किया जाता है।
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फैन स्प्रे नोजल: इस नोजल में से पानी के स्प्रे को एक पंखे के आकार का पैटर्न दिया जाता है जिससे आयताकार या वर्गाकार खेतो को कवर करना आसान हो जाता है।
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माइक्रो-स्प्रिंकलर नोज़ल: माइक्रो-स्प्रिंकलर नोजल में छोटे छेद होते हैं और इसका उपयोग आमतौर पर बगीचों में किया जाता है।
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लो प्रेशर नोजल: इस नोजल को पानी का दबाव कम रखने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं।
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एडजस्टेबल नोजल: एडजस्टेबल नोजल में पानी का बहाव को बदलना आसान होता है। किसान कोण या आर्क के रूप में पानी का छिड़काव कर सकते है।
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डुअल-स्ट्रीम नोजल: इस नोजल में पानी की दो धाराएँ बनती है।
तो क्या आप स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए तैयार हैं?
स्प्रिंकलर सिंचाई एक तरीका है जिससे किसान आधुनिक सिंचाई तकनीक को अपना कर कम पानी में भी अपने खेतों में फसलों को खड़ा कर सकते हैं। इसके साथ-साथ, वो सरकार से 55% तक की सब्सिडी भी हासिल करके एक अच्छी ख़ासी बचत भी कर सकते है।
तो यह सही वक्त है स्प्रिंकलर सिंचाई को अपनाने का। अगर आपको स्प्रिंकलर सिंचाई से जुड़ी और भी कुछ जानकारी चाहिए तो आप हम से जुड़े रहिए। हम आपको इससे जुड़ी और भी महत्वपूर्ण बातें लाते रहेंगे। ट्रैक्टरज्ञान