18 Sep, 2023
हर एक कंपनी को सफलता के चरम को छूने के लिए दिन रात एक कर देने पड़ते है। सफलता उन्ही लोगो के कदमो को चूमती है जो मुश्किल वक्त में भी उम्मीदें और प्रयासों को नहीं छोड़ते। आज हम आपको ऐसी एक ट्रैक्टर निर्माता कंपनी के सफलता के इतिहास की कहानी सुनाने जा रहें जिसने बंटवारे की मार झेली, अपने एक को-फाउंडर को सरहद पार भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा, और बटवारे के समय आयी आर्थिक अस्थिरता को भी सहना पड़ा।
आज, 2023 में, यह कंपनी विश्व की कुल ट्रैक्टर इंडस्ट्रीज में 25% की हिस्सेदारी का दावा करती है, 40 देशों में अपने ट्रैक्टरों का निर्यात करती है, और कई देशो में ट्रैक्टरों का निर्माण करती है। तो चलिए, जानते हैं इस कंपनी की सफलता के बारे में।
बंटवारे में पनपा बीज कैसे स्वतंत्रता के 77वें साल बाद भी छू रहा है सफलता के आसमान
जिस कंपनी के बारे में हम आपको आज बताने जा रहें हैं वो हैं महिंद्रा एंड महिंद्रा। इसका इतिहास रोमांचक और अविश्वसनीय है। महिंद्रा ट्रैक्टर भारत की नंबर 1 ट्रैक्टर कंपनी बनने की यात्रा आज से 77 साल पहले, 2 अक्टूबर 1945 को जस्सोवाल, लुधिआना, पंजाब , भारत में शुरू हुई थी।
जे. सी. महिंद्रा, के. सी. महिंद्रा और मलिक गुलाम मुहम्मद इन्होंने महिंद्रा ट्रैक्टर की नींव रखी थी। शुरुआत में कंपनी, महिंद्रा एंड मुहम्मद के रूप में शूरु हुई थी। उसके बाद 1948 में इसे महिंद्रा एंड महिंद्रा के रूप में बदल दिया गया।
जे.सी. महिंद्रा एक भारतीय उद्योगपति थे। ये महिंद्रा समूह के वर्तमान अध्यक्ष आनंद महिंद्रा के दादा भी थे।
अब, महिंद्रा ग्रुप का संचालन आनंद महिंद्रा द्वारा किया जाता है, जिन्हें महिंद्रा कंपनी के मालिक के रूप में जाना जाता है।
जे. सी. महिंद्रा ने अपने करियर की शुरुआत टाटा स्टील के साथ की थी। 1929 से 1940 तक इन्होने वरिष्ठ बिक्री प्रबंधक के रूप में कार्य किया था। के. सी. महिंद्रा का जन्म 1894 में पंजाब प्रांत के लुधियाना में हुआ था। इन्होने गवर्नमेंट कॉलेज में शुरुआती शिक्षा के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ऑनर्स अर्जित की थी।
मलिक गुलाम मुहम्मद का जन्म भारत के पंजाब के लाहौर में एक काकाज़ई परिवार में हुआ था। एएमयू में अकाउंटेंसी की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने भारतीय रेलवे लेखा सेवा के भीतर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप काम किया। इन्होने साल 1946 में राजनीति में कदम रखा। साल 1947 में भारत के विभाजन और पाकिस्तान के जन्म के बाद, मलिक गुलाम मुहम्मद लियाकत प्रशासन का एक अभिन्न अंग बन गए, और पाकिस्तान देश के पहले वित्त मंत्री के रूप में काम किया ।
जे. सी. महिंद्रा, के. सी. महिंद्रा और मलिक गुलाम मुहम्मद ने मिलकर साल 1945 में महिंद्रा एंड मोहम्मद की शुरआत की। वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के समय एम.जी. मुहम्मद पाकिस्तान चले गए और कंपनी की भागदौड़ जे. सी. महिंद्रा और के. सी. महिंद्रा के हाथों में आ गयी।
भारतीय बाजार के लिए इस कंपनी का पहला ट्रैक्टर महिंद्रा बी -275 था जो इंटरनेशनल हार्वेस्टर के साथ साझेदारी में बनाया गया था। इस मॉडल के कंपनी ने सालाना लगभग 85,000 यूनिट बेचीं, और दुनिया के सबसे बड़े ट्रैक्टर उत्पादक बनने के रेस में शामिल हो गया। इसके बाद कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और आज महिंद्रा दुनिया की नंबर 1 ट्रैक्टर कंपनी है।
आज का महिंद्रा ट्रैक्टर
आज़ादी के 77 सालों के बाद भी महिंद्रा ट्रैक्टर रोज़ नयी ऊंचाइयों को छू रही है। आज इस कंपनी के ट्रैक्टर दुनियाभर के किसानो को भा रहें हैं। इसकी एक वजह इसके कुशल मार्गदर्शक है जो अब इस कंपनी की भागदौड संभल रहें है।
अभी कंपनी के मुख्य पदों पर शामिल है:
आनंद महिंद्रा जी एक भारतीय अरबपति व्यवसायी हैं जो महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के अंतर्गत आने वाले एयरोस्पेस, कृषि व्यवसाय, आफ्टरमार्केट, ऑटोमोटिव, घटक, निर्माण उपकरण, रक्षा, ऊर्जा, कृषि उपकरण, वित्त और बीमा, औद्योगिक उपकरण, सूचना प्रौद्योगिकी, और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से जुड़े कारोबारों की निगरानी करते हैं।
फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें 'विश्व के 50 महानतम लीडर्स' की सूची में शामिल किया है। साल 2013 आनंद महिंद्रा जी को फोर्ब्स (भारत) ने “एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर” से नवाजा। उन्हें जनवरी 2020 में भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण, से भी नवाज़ा था।
अप्रैल 2014 में, आनंद महिंद्रा यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) के बोर्ड के सदस्य बने।
साल 2011 में, आनंद महिंद्रा जी को सिंगापुर के आर्थिक विकास बोर्ड की अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।
इसके साथ-साथ, वह लिंकन सेंटर, न्यूयॉर्क में भारत सलाहकार परिषद के अध्यक्ष भी हैं।
डॉ. अनीश शाह जी साल 2014 में महिंद्रा ग्रुप से जुड़े थे। अपनी अथक मेहनत की वजह से वो आज कंपनी के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी (एमडी एवं सीईओ) की भूमिका निभा रहें हैं।
इसके साथ-साथ, वो महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड और महिंद्रा लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के चेयरमैन के पद पर भी नियुक्त हैं। उनके कंधो पर, महिंद्रा हॉलीडेज एंड रिसॉर्ट्स लिमिटेड , टेक महिंद्रा फाउंडेशन, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड, और महिंद्रा लॉजिस्टिक्स लिमिटेड की भी जिम्मेदारी है।
प्रताप बोस जी बंगाली मूल के एक कुशल ऑटोमोटिव डिजाइनर हैं, जो साल 2021 में महिंद्रा एंड महिंद्रा से जुड़े थें। महिंद्रा के साथ जुड़ने से पहले, इन्होने ने टाटा मोटर्स में 14 साल तक काम किया। टाटा की मुख्य कारो जैसे टिगोर, टियागो, नेक्सॉन, टाटा हैरियर और नई सफारी के डिज़ाइन के पीछे प्रताप बोस की रचनात्मक क्षमता है।
महिंद्रा कंपनी के लिए यें महिंद्रा इंडिया डिज़ाइन स्टूडियो, बॉर्न इलेक्ट्रिक व्हीकल्स , एलसीवी उत्पाद, लास्ट माइल मोबिलिटी, एसयूवी ऑटोमोबाइल्स आदि के मुख्य डिज़ाइन अधिकारी के रूप में नियुक्त है|
साल 2020 से, राजेश जेजुरिकर जी महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड में कार्यकारी निदेशक और सीईओ (ऑटो और फार्म सेक्टर) के पद को संभाल रहें हैं। पैकेज्ड सामान, विज्ञापन, मीडिया, ऑटोमोटिव और कृषि उपकरण जैसे सेक्टर में अपने विविध अनुभव के कारण ये कंपनी के सबसे महत्पूर्ण लोगो में से एक है। उन्होंने कंपनी को साल 2000 में ऑटोमोटिव सेक्टर के उपाध्यक्ष - विपणन के रूप में संभाला था।
इसके साथ-साथ, उन्होंने साल 2016 और 2017 में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद में अध्यक्ष के रूप में भारत में ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टीएमए) का प्रतिनिधित्व भी किया है।
अभी थोड़े समय पहले ही, इनको प्रतिष्ठित 'ऑटोकार प्रोफेशनल मन ऑफ़ द ईयर -2022' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
हेमंत सिक्का जी महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड में फार्म इक्विपमेंट सेक्टर के अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए पावरोल जेनसेट व्यवसाय की देखरेख की जिम्मेदारी भी संभालते हैं।
इस भूमिका को निभाते हुए उन्होंने जेनसेट और स्पेयर्स व्यवसाय का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, दक्षिण कोरिया में सैंगयोंग मोटर्स के परचेज से जुड़े कार्य को संभाला।
वर्तमान में कंपनी के कोरियाई आपूर्तिकर्ताओं के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध होने का एक बड़ा श्रेय हेमंत सिक्का जी को जाता है। महिंद्रा से जुड़ने से पहले उन्होंने मारुति सुजुकी के साथ नौ साल तक काम किया। उनके असाधारण योगदान के लिए साल 2013 में प्रोक्योरमेंट एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
इन सभी के विशेषज्ञ निर्देशन के अंदर, महिंद्रा ट्रैक्टर (Mahindra Tractor) आज 150,000 ट्रैक्टर/वर्ष की निर्माण क्षमता रखती है।
आज का महिंद्रा जोश और होश से भरा है!
भारत और विश्व के ट्रैक्टर जगत को उन्नत बनाने में महिंद्रा का एक उल्लेखनीय योगदान है। इसके अंतर्गत अब बहुत सारे ब्रांड्स जैसे महिंद्रा इंडिया, स्वराज, ट्रैकस्टार - ग्रोमैक्स एग्री इक्विपमेंट लिमिटेड, आईटीएमसीओ-महिंद्रा , जियांग्लिंग , फेंग शू, लेनार, और महिंद्रा एग्रीबिजनेस आते हैं। इसके अलावा सैम्पो रोसेनलेव ओय, मित्सुबिशी, और महिंद्रा कृषि मशीनरी इसकी सब्सिडरी हैं।
तो यह थी महिंद्रा ट्रैक्टर की सफलता और संघर्ष की कहानी जो आज एक मिसाल बन गई है। ट्रैक्टर जगत से जुड़ी इसी तरह की और रोमांचक बातों को जानने के लिए ट्रैक्टरज्ञान से जुड़े रहें।